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________________ शब्दार्थ स० शतानीक रामा की भ० भगिनी उ० उदायन राजा की पि० भुआ मि• मृगावती देवी की नणंद, *। वे० वैशालीक की सा०श्राविका अ० अरिहंत पु० पूर्वशय्यांतर देने वाली ज० जयन्ती सश्रमणोपासीका हो थी से सु० सुकुमार जा० यावत् सुः सुरूप आ० जाने जा० यावत् वि० विचरती है ॥ ४॥ ते. उस काल १६७८ ते. उस समय में सा० स्वामी अ पधार जा० यावत् १० परिषदा प० पर्युपासना करे ॥ ५ ॥ त० तब पिउत्था, मिगावतीए देवीए णणंदा, घेसालीसावयाणं अरहंताणं पुन्वसिज्जातरी जयंती समणावासिया होत्था सुकुमाल जाव सुरूवा, आंभगय जाव विहरइ ॥ ४ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसड्डे जाव परिसा पज्जुवासइ ॥ ५ ॥ तएणं उदायन राजा की पितृस्वसा (भूआ) मृगावती देवी की ननंद, वैशालिक श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी की श्राविका, अरिहंत भगवंत को प्रथम शैय्या देनेवाली जयंती नामक श्राविका थी. वह मुरूपा यावत् जीवाजीव का स्वरूप जानती हुई विचरती थी ॥ ४ ॥ उस काल उस समय में श्री श्रमण भगवंत भी महावीर स्वामी पधारे यावत् परिषदा पर्युपासना करने लगी ॥५॥ उस समय में उदायन राजा इस बात १ शैय्या का दान देने में जयति श्राविका प्रसिद्ध है. जो नये साधु आते थे वे प्रथम शैय्या की याचना करते थे 12} इस से पूर्व शैय्यातरी कही है. १० अनुवादक-यालब्रह्मचारी मान श्री अमोलक ऋषिजी+ marnamam *प्रकाशक-राजावहादुर लाला सुखदवसहायजा ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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