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________________ शब्दार्थ * अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी सुदक्षु जागरिका से वह के कैसे भगवन् ए. ऐसा बु. कहा जाता है ति ती. प्रकार की जा.. जागरिका प० प्ररूपी बु० बुद्ध जागरिका अ० अबुद्ध जागरिका मु० सुदक्ष जागरिका गो• गौतम जे. जो अ. अरिहंत भ० भगवन्त उ० उत्पन्न णा ज्ञान दं० दर्शन के धारक ज. जैसे खं. स्कंदक जा. यावत् स०सर्वज्ञ स. सर्व दर्शी बु. बुद्ध बु. बुद्ध जागरिका जाजागते हैं जे. जो अ. अनगार भ.. वन्त इ० ईर्या समिति वाले भा. भाषा समिति वाले जा. यावत् गु० गुप्त वं. ब्रह्मचारी अ० अबुद्ध । भ० अबुद्ध जागरिका जा० जागते हैं जे० जो स० श्रमणोपासक अ० ज ने जी० जीवाजीव जा० भंते ! एवं वुच्चइ तिविहा जागरिया प० तं. बुद्ध जागरिया, अबुद्ध जागरिया, सुदक्खु जागरिया ? गोयमा ! जे इमे अरहंता भगवंतो उप्पण्णणाण दंसणधरा जहा खंदए जाव सव्वण्णू सव्वदरिसी एएणं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंतिाजेइमे अणगाराभगवंतो इरियासमिया भामासामिया जाव गुत्तबंभयारी, एएणं अबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति। जे इमे समणोवासगा अभिगय जीवाजीका जाव विहरंति; एएणं सुदक्खु जागरियं प्रकार की कही है ? अहो गौतम ! जागरणा के तीन भेद कहे हैं. बुद्ध जागरणा, अबुद्ध जागरणा व सुदर्शन जागरणा. अब जो उत्पन्न ज्ञान दर्शन धारन करनेवाले वगैरह जैमा स्कंदक में कहा वैसे गुगोंवाले यावत् सर्वज्ञ सर्व दी जो अरिहंत होते हैं वे बुद्ध जागरणा जागते हैं. जो अनगार ईर्या सभिति. .प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी. भावार्थ 1
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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