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शब्दाते. वेस. श्रमणोपासकक० काल पा० प्रातः में जा. यावत् ज० ज्वलंत व्हा० स्नान किया क. कृत।
जा. यावत् स. शरीर वाले अ. अपने गि० गृह से प० नीकल कर ए. एकत्रित मि० मीलते हैं? १७ से० शेष ज. जैसे प० प्रथम जा० यावत् प० पर्युपासना की ॥ २१ ॥ त० तब स० श्रमण भ०*
भगवन्त म० महावीर ते• उन स० श्रमणोपासकों को ती• उस घ० धर्मकथा जा० यावत् आ० आज्ञा से आ० आराधक भा होता है ॥ २२ ॥ त• तब ते. वे स० श्रमणोपासक स० श्रमण भ० भगवंत म० महावीर की अ० पास ध० धर्म सो मुनकर नि० अवधार कर ह० हृष्ट तु० तुष्ट उ० उठकर स०
सएहिं गिहेहितो पडिणिक्खमंति २ त्ता एगयओ मिलायति २ त्ता, सेसं जहा पढमं जाव पज्जुवासइ ॥ २१ ॥ तएणं समणे भगवं महावीरे तेसिं समोवासगाणं तीसेय धम्मकहा जाव आणाए आराहए भवइ ॥ २२ ॥ तएणं ते समणोवासगा
समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा णिसम्म हट्ठतुट्ठा उट्ठाए उट्टेति रत्ता किया, यावत् अलंकारों से शरीर विभूषित किया अपने २ गृह से नीकलकर एकत्रित हुए. शेष . सब पहिले जैस जानना यावत् पर्युपासना करने लगे ॥ २१॥ श्रमण भगवंत महावीर स्वामीने उन श्रमणो-*
सकों को उस बहती परिषदा में धर्मकथा सुनाइ यावत् आज्ञा का आराधक होता है ॥ २२ ॥ भगवंत श्री महावीर स्वामी की पास से धर्म श्रवण कर के श्रमणोपासकों दृष्ट तुष्ट यावत् आनंदित हुए और श्रमण
488 पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती) मूत्र 88
बारहवा शतक का पहिला उद्देशा +8