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________________ शब्दार्थक गि• गृह में अ० प्रवेश किया ॥ १३॥ त० तब सा वह उ. जपला स० श्रमणोरासिका पो०ी । पुष्कली सः श्रमणोपासक को ए. आता हुवा पा० देखकर ह० देष्ट तु. तुष्ट आ० आसन से अ. .' उपस्थित हुइ स० सात आठ प. पांव अ० जाकर पो० पुष्कलीम० श्रमणोपासक को वं. वंदना ण नमस्कार कर आ० आसन से उ० निमंत्रणाकर ए. ऐसे व० बोले सं• कहो दे० देवानुप्रिय कि० किस of लिये आ० आनेका १० प्रयोजन ॥ १४॥ त० तब से वह पु. पुष्कली स० श्रमणोपासक उ० उत्पला वितु ॥ १३ ॥ तएणं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलिं समोवासगं एजमाणं पासइ २ त्ता हट्ठतुट्ठा आसणाओ अब्भुढेइ २ ता सत्त?पयाहिं अणुगच्छइ २ । त्ता, पोक्खाल समणोवासगं वंदइ णमंसइ वंदित्ता नमसइत्ता आसणेणं उवनिमंतेइ २ त्ता एवं वयासी संदिसंतुणं देवाणुप्पिया ! किमागमण पओ यणं ? ॥ १४ ॥ तएणं से पोक्खली समणोवासए उप्पलं समणोवासियं एवं भावार्थ पास से नीकलकर श्रावस्ती नगरी की मध्य में होता हुवा शंख श्रमणोपासक के गृह गया ॥ १३ ॥ उस oyo साय में उत्पला श्राविकाने पोखली श्रावक को आता हुवा देखा. देखकर बहुत हर्षित हुई और अपने X उठकर सात आठ पांव (कदम) सन्मख गई. पोखली श्रमणोपासक को वंदना नमस्कार करके आसन की निमंत्रणा की. फीर आने का प्रयोजन पूछा ॥ १४ ॥ पोखली श्रावकने उत्पला। - पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) मूत्र 40800 बारहवा शतक का पहिला उद्देशा 80
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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