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शब्दार्थ
पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र 42825
स० श्रमणोपासक ५० पर्याय पा पालकर मा० मास की सं० संलेखना से अ० आत्माको झू झूसकर स. साठ भक्त अ० अनशन छे० छेदकर आ० आलोचना प० प्रतिक्रमण स. समाधि प्राप्त का काल के
मा० अवसर में का० कालकर सो० सौधर्म क० देवलोक में अ. अरुणाभ वि० विमान में दे० देवपने उ०१३ 26 उत्पन्न होगात उस में कितनेक दे देवों की च. चार १० पल्योपम की ठिक स्थिति ५० प्ररूपी तक वहां इ० ऋषिभद्रपुत्र दे० देवकी च० चार प० पल्योपम की ठि० स्थिति भ० होगा ॥ ११ ॥ से०
अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणिहिति २ त्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेहिति २ ता, सर्द्धि भत्ताई अणसणाए छेदेहि छेदेइत्ता, आलोइय पडिकंते समाहिपत्ते कालमासे कालकिच्चा, सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववजिहिति ॥ तत्थणं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णता तत्थणं इसिभद्दपुत्तस्स · देवस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई आत्मा को भावते हुवे बहुत वर्ष साधु की पर्याय पालकर, एक मास की संलेखना से आत्मा को झोसकर साठ भक्त अनशन छेदकर, आलोचना प्रतिक्रमण कर, काल के अवसर में काल कर सौधर्म देवलोक में अरुणाभ विमान में देवतापने उत्पन्न होवेंगे. वहां कितनेक देवों की चार पल्योपम की स्थिति कही है। उन में ऋपिभद्र पुत्र देव की चार पल्योपम की स्थिति होगी ॥ ११ ॥ अहो भगवन् ! वह ऋषिभद्र पुत्र
अग्यारता शतकका बारहवा उद्देशा
भावार्थ
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