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शब्दार्थ14णि नीकले ध० धर्म कथा ज जैसे के केशी स्वामी की सो० वह भी तक तैसे अ० माता पिताको आ..
पुछकर ण विशेष ध० धर्मघोष अ० अनगार की अं० पास मुं• मुंड भ० होकर अ. गृहवास से अ० साधुपना ५० अंगीकार करने का त० तैसे ही बु. उत्तर प. प्रत्युत्तर ण. विशेष इ. ये ते० तेरी मा० पुत्र वि० बहुत सः राजकुल वा० बालाओं क० कला मे० शेष ते तैसे जा० यावत् ता. उन अ० अकाम म० महाबल कु. कुमार को एक ऐसे क० गेले तं• इस से इ० इच्छत हैं ते० तेरी जा• पुत्र ए. एक दि० दिवस की रा राज्यलक्ष्मी पा० देखनेको त० तब से वह म० महाबल कुमार अ० माता पिता के व वचन को अ० नहीं उल्लंघते तु० मौन सं० रहा ॥ ३९ ॥ त० तब से उन ब० बलराजाने __ अणगारियं पव्वइत्तए, तहेव वुत्त पडिवुत्तयाओ णवरं इमाओय ते जाया! विपुल राजकुल
बालियाओ कला सेसं तंचेव जाव ताहे, अकामाई चेव महब्बलं कुमार एवं वयासी तं इच्छामो ते जाया ! एग दिवसमवि रज्जसिरिं पासेमि ॥ तएणं से महब्बले कुमारे
अम्मापिउवयण मणुवत्तमाणे तुमिणीए संचिट्ठइ ॥ ३९ ॥ तएणं से बलेराया कोडुं । जमाली के कथन में विपुल कुल बालिका कही है और यहां विपुल राज्यकुलोत्पन्न बालिका कहना. और
अहो पुत्र ! तुम एक दिन राज्यसुख भोगवो ऐसा हम देखना चाहते हैं. महाबल कुमार मातपिता की 1*ऐसी आज्ञा नहीं उल्लंघने से मौन रहे ॥ ३१ ॥ फीर बल राजाने कौटुम्बिक पुरुषों को वोलाये और शिव-12
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*
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4१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी पनि श्रा अमोलक ऋषिजी
भावार्थ