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ब्दार्थ त. रकाबी क० चमचे अ० भाजन विशेष अ० तथा विशेष पा. पादपीठिका भि• आसन विशेष क. १
लोटा ५० पल्यंक ५० प्रतिशय्या , हंसासन को क्रौंचामन ग० गरुडासन उ. उन्ननासन ५० अवनVतासन दी. दीर्घामन भ० भद्रासन प० पक्षासन म० मकरासन प० पद्मासन दि० दिशा स्वस्तिकासन तेलके दावडे ज जैसे रा० रायपनी म० सर्षव के दावडे खु० खोजे ज० जैसे उ० उवाइ में alo
वरिसहरे, एवं महत्तरए. अट्ठसोवण्णिए ओलंबणदीवे, अटुरुप्पमए, ओवलंबणदीवे, अटुसुवण्णरुप्पमए, ओवलंवणदीवे, अट्ठसोवण्णए ओकंचणदीवे, एवं चैव तिण्णिवि. अट्ठसोवण्णिए पंजरदीवे एवंचेव तिण्णिवि, अटुसोवाए थाले, अट्टरुप्पमए
थाले, अट्ट सोवण्णरुप्पमए थाले, अट्ठसोवणियाओ पत्तीओ ३, अटुसोवणियाई
। घोसयाई, अट्ठ सोवणियाई मल्लंगाई ३, 'अट्ठसोवणियाओ तलियाओ ३, अट्ठ भावार्थ रूपे के मल्लका, सोने की, रूपे की व मोने रूपकी आठ २ रकेवी, सोने के, रूपे के व सोने रूपेके आठ २
चमचे, सोने के, रूपे के व सोने रूपे के आठ तबे, सोने, रूपे व सोने रूपे की आठ २ कढाइ, सोने, रूपे व सोने रूपे की आठ २ पादपीठिका, सोने, रूपे व सोने रूपे के आठ आसन, सोने, रूपे व सोने रूप के
आठ कलश, सोने के, रूपे के व सोने रूपे के आठ पलंग, सोने, रूपे व सोने रूपे के आठ छोटे पलंग,100 +आठ हंस के आकारवाले आसन, आठ क्रौंच के आकारवाले आसन, आठ गरुडासन, आठ उन्नत आसन,
48+ पंचमांगविवाह पण्णत्ति (भगवती ) सूत्र 4082
*3:02अग्यारवा शतकका अग्यारवा उद्देशा
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