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शब्दाथ जा० यावत् पा० पारिसी छ० छत्र छ० छनधारक चे० दासी चा० चामर. चा० चामरधरनेवाली चे. पदासा ता० वीझणा ता० वीझणा धरने वाली ने० दासी क० तांबूल धरने वाली अ० आठ खी० क्षीरधात्री
जा० यावत् अ० आठ अं० अंकघात्रा म० मर्दन करने वाली उ० बहुत मर्दन करने वाली पहा० स्नान है सोवणियाओ कवचियाओ ३, असोवण्णमए अपवडए, अट्टसोवणियाओ अवहै वक्ताओ ३, अट्ठसोवाण्णयाए पायपीढए ३, अट्टसोवाणियाओ भिसियाओ ३, अट्ठ
सोवण्णियाओ करोडियाओ ३, अट्ट सोवाण्णए पल्लंके ३, अट्ठ सोवणियाओ पडिसेज्जाओ ३, अट्ट हंसासणाइ, कौंचासणाई, एवं गरुडासणाई, उण्णतासणाई, पणयासणाई, दाहासणाई, भद्दासणाई, अट्रपक्खासणाई,मकरासणाई, अट्ठपउमासणाई, अट्ठ
दिसासोवत्थियासणाई,अट्ट तेलसमुग्ग जहा रायप्पसेणइज्जे जाव अट्ट सरिसवसमुग्गे,अट्ठ भावार्थ आठ अवनत आसन, आठ दीर्घासन, आठ भद्रासन, आठ पक्षासन, आठ मकरासन, आठ पद्मासन,
आठ दिशा स्वस्तिकासन, आठ सुगांघ तेल के भाजन वगैरह रायप्रसेणीमें कहे मुजव (पत्रिवाहक, एलिषेके पात्र, हरताल के पात्र, हिंगूल के पात्र, मनःशिला के पात्र, अंजन के पात्र ) यावत् सरसव के पात्र,
आठ खोजे, आठ २ अठारह देश की दासियों, आठ छत्र, आठ छत्र धारन करनेवाली दासियों, आठ पिंखे, आठ पंखे धारन करनेवाली दासियों, आठ पानदान, पानदान धारक आठ दासियों, पांच प्रकार
44 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी,