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शब्दार्थररथ सं०संग्राम केलिये अ० अश्व ह० हस्ती गाग्राम दश कुं० कलसहस्र से गा ग्राम दा० दास कि किंकर:
के०कंचुकिनी व० वर्षधर म० महत्तर सो० मोनेकी सांकल रु० चांदी की सु.सोना चांदी की सो. सोना के ओ० ऊंचे दीवे एक ऐसे ति तीन सो. सोना के पं० पिंजर वाले दीवे सो० सोना के था० १ थाल रु. रुपा के था० थाल सो० सोना रुपाके था० थाल ५० पगत धो० आयना म. मल्लक भाजन
अट्ठजुग्गाई. जुग्गप्पवराई, एवं सिवियाओ संदमाणीओ, एवं गिल्लीओ, थिल्लीओ, अट्ठ वियड जाणाई वियडजाणप्पवराई, अट्ठरहे पारिजाणीए; अट्ठरहे संगामिए अट्ठ आसे आसप्पवरे, अट्ठ हत्थी हत्थिप्पवरे, अट्ठगामे गामप्पवरे (दस कुलसाहस्सिएणं गामेणं) अट्ठदासे दासप्पवरे, एवं दासीओ, एवं किंकरे, एवं कंचुइजे, एवं
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
.प्रकाशक राजावहादुर लाला मुखदेवसहायनी मालाप्रसादजी *
भावार्थ
आठ रूपे की सांकलवाले दीपक, आठ सोने रूपे की मीली सांकलवाले दीपक, आठ २ सोने, रूपे व सोने* रूपे के ऊंचे दण्डवाले दीपक, सोने के, रूपे के, व सोने रूपे के आठ २ पिंजरवाले दीपक. आठ सुवर्ण के थाल, आठ रूपे के थाल, आठ सुवर्ण रूपे के थाल, आठ सुवर्ण पात्र, आठ रूपे के पात्र, आठ सुवर्ण रूप के पात्र आठसुपर्ण, की आरसी के आकारयाले पात्र, आठ रूपेकी आरसी के आकारवाले पात्र, और आई सुवर्ण को की आरसी के आकारवाले पात्र, आठ सोने के मल्लक [भाजन] आठरूये के मल्लक, आठ सोने,