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________________ शब्दार्थ को कौतुक मं० मंगल उ उपचार सं० शांतिकर्म स० सहस्र स सरिखी स०सरिखी बचावाली स० सरिखी वयवाली स. सरिखा ला० लावण्य रू० रूप जो० यौवन गु० गुणयुक्त वि०विनीत ककिया को ols ४७ कोगले पा० तीलमसादि स-सरिखे रा० राजकुल से आ० लाइ हुइ अ० आठ रा० राजा में व० श्रेष्ठ | १६२१ क. कन्या का ए० एकदिवस में पा०हस्त गि० ग्रहण कराया ॥३०॥ तक तब त उस म०महाबळ कु. कुमार के अ० माता पिता ए• इसरूप पी० प्रीतिदान द० देवे अ० आठ हि० हिरण्य कोडी अ० आठ एहिय वरकोउयमंगलांवयारकयसंतिकम्मं सरिसियाणं सरित्तयाणं सरिव्वयाणं सरिसलावण्णरूवजोधणगणोववेयाणं विणीयाणं कयकोउयमंगलपायच्छित्ताणं सरिसएहि रायकुलेहिं अणिल्लियाणं अटुटुं रायवरकण्णाणं एगदिवसेणं पाणिं गिण्हा विंसु ॥ ३५ ॥ तएणं तस्स महब्बलस्स कुमारस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं पीतिभावार्थ अलंकारों से शरीर विभूषित किया, मर्दन, उगटणा, गीत, वादित्र, मंडन विशेष, तीलक, और मौभाग्य वती स्त्री से कुमुम्बी रंग के दोरे का बंधना इतने कार्य किये. फीर प्रधान मंगलिक वचन बोले प्रधान कौतुक मंगलरूप उपचारकिया. और शांतिकर्म वगैरह करके महाबल कुमारके एक सरीखी रूपवाली वयवाली *वर्णवाली व लावण्यवाली ऐसी आठ राजकमारियों को भी मांगलिक क्रियाओं कराके एक ही दिन उन सब का महाक्ल कुमार से पाणि ग्रहण कराया ॥३५॥ फीर महावल कुमार के मातपिताने आठ क्रोड चांदी | 428 पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती) मूत्र 88 अग्यारवा शतक का अग्यारवा उद्देशा 4.882
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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