________________
शब्दार्थ
१०
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
एकबडा भ० भुवन का० करवाया अ० अनेक खं० स्तंभ स० शत स० सहित व० वर्णन युक्त ज० जैसे * रा० राय प्रसणीय में पे० प्रेक्षाग्रह मं० मंडप में जा. यावत् प० प्रतिरूप ॥ ३४ ॥ त० तब म० महायल कुमार के अ० माता पिता अ० अन्यदा कदापि सो० शुभ ति तिथि क० करण दि० दिवस ण नक्षत्र मु. मुहूर्त में डा० स्नान किया क. बलीकर्म कीया क. कौगले किये मं० तीलमसादि स० सर्व अ०१ अलंकार वि. विभूषित प० मर्दन हा० स्नान गी० गीत वा० कादित्र ५० मण्डन अ० आठ अंग में इति० तिलक कं० कंकण अ मौभाग्यवंती व वधू उ० किया मं०. मंगल सु० अच्छे वचन से व० प्रधान
सगाणं बहुमज्झदेसभाए एत्थणं महेगेभवणं कारेति, अणेगखंभसय सण्णिविटुं वण्णओ जहारायप्पसेणइज्जे, पेच्छाघरमंडवंसि जाव पडिरूवे ॥ ३४ ॥ तएणं तं । महब्बलं कुमारं अम्मापियरो अण्णयाकयाइं सोभणंसि तिहिकरणदिवसणक्खत्तमुहत्तंसि हाय कयबलिकम्मं कयकोउयमंगलायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं पमक्खणगं ण्हाणं गीयवाइयंपसोहणट्ठगं तिलगकंकणअविहयवहुउवणीयं मंगलंसुजंपि वर्णन रायप्रसेणी सूत्र से जानना. उक्त आठ प्रासादावतंसक की मध्य में अनेक स्तंभयाला एक वडा भवन वनवाया. उप्त का भी वर्णन रायप्रसेणी मूत्र में से जानना ॥ ३४ ॥ अव एकदा किसी शुभ तीथि व मुहूर्त में महाबल कुमार के मातापिताने उन को स्नान कराया, बलिकर्म किया, तीलमसादिक किये सब ।
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ
1