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________________ शब्दार्थ 4/नि० निर्व्याघात मु० मुख से प० वृद्धिपाता है ॥ ३२ ॥ त० तत्र त० उस म० महाबल दा० पुत्र के अ० माता पिता अ. अनुकम से ठि० उत्सव चं० चंद्र मु. सर्य दं० दर्शन जा० जागरणा ना. नामकरण मि में चलन प०पांवसे चलना जे०भोजनकर्म वि०पिंडवटिप बोलना ककछिटमवाट चोमोडत करना उ. कलाभ्यास अ० अन्य १० बहुत ग० गर्भादान ज. जन्म आ० आदि को कौतुक क० करेन णिवायणिव्वाघायंति, सुहंसुहेणं परिवदुइ ॥ ३२ ॥ तएणं तस्स महाबलस्स दारगस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेणं ठिइपइयंच चंदसूरदसणावणियंवा, जागरियंवा, नामकरणं वा, परगामणंचा, पयचंकमाणंवा जेमावणंवा पिंडवडणंवा पजपापणंवा कण्णवेहणंवा संवच्छरपडिलेहणंवा चोलोवणगंवा उवणयणंवा अण्णाणि बहूणि गब्भादाणजम्मण मादियाइं कोउयाई करेंति ॥ ३३ ॥ तएणं तं महाव्वलं कुमारं अम्मापियरो साइरभावार्थ सूत्र में दृढप्रतीज्ञी कुमार का कहा वैसे ही यहां कहना यावत् जैसे पर्वत की गुफा में चंपक वृक्ष सुख से वृद्धि पाता है ऐसे ही महाबल कुमार वृद्धि पाने लगा ॥ ३२ ॥ अब मातपिताने जन्म दिन से अनुक्रम से १ स्थिति कल्प २ चंद्र सूर्य दर्शन ३ जागरणा ४ नाम की स्थापना करना ५ भूमि पर खडा रहना ६ पांव से चलने का ७ जिमाने का ८ कवल वृद्धि का ९ बोलने का १० कर्ण छेद का ११ वर्ष 1-गांठ का १२ चौटी रखने का १३ कला शिक्षण का वगैरह और अन्य भी ऐसे अनेक गर्भ धारन, जन्मादि 48 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी + . प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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