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शब्दाथ
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
त० तब प० प्रभावती दे देवी की अं० अंग परिचारिका प० प्रभारती दे० देवी को ५० प्रसूता जा जानकर जे. जहां बबल रा० राजा ते. तहां उ० जाकर क० करतल ब० बल रा० राजा को ज०१७ जय वि. विजय से व० वधाकर ए. ऐसा घ० बोली ए० एसे ख० खलु दे० देवानुप्रिय १० प्रभावती । दे. देवीने ण. नव मा० मास ब० बहुन प० प्रतिपूर्ण जा. यावत् दा० पुत्र ५० जन्मदीया दे. देवानुप्रिय को पि.प्रिय करिये णि निवेदन करती हूं पि. प्रिय भे० तुमको भ० होवे ॥२६॥ त० तब से वह व०
पभावती देवीं पसूयं जाणित्ता जेणेव बलेराया तेणेव उवागच्छइ २ चा, करयल बलं ।
रायं जएणं विजएणं बद्धाति २ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया! पभावई है देवी णवण्हं मासाणं बहु पडिपुण्णाणं जाब दारगं पयाता तं एयण्णं देवाणुप्पियाणं
पियट्टयाए पियंणिवेदेमो पियं भे भवउ ॥२६॥ तएणं से बले राया अंगपडियारियाणं । ॥ २५ ॥ उस समय में प्रभावती देवी की पास रहनेवाली दासी प्रभावती देवी को पुत्र का जन्म हुवा जानकर बल राजा की पास आइ. और दोनों हाथ जोडकर जयविजय शब्द से बल राजा को बधाकर कहने लगी अहो देवानुप्रिय ! प्रभावती देवी को सवानव मास पूर्ण होने से सर्व गुण लक्षण संपन्न पुत्र का जन्म हुआ है. आप को प्रीति उत्पन्न करने के लिये ऐसे समाचार की मैं वधाई देती हूं. आपकी प्रीति की वृद्धि होवो. और आप का कल्याण होवो ॥ २६ ॥ बल राजा अंगरक्षक दासी से ऐसा सुनकर
अग्यारवा शतक का अग्यारवा उद्देशा 9881
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