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________________ शब्दार्थ तैसे जा. यावत् प० पीछी दो त० तब ते वे को० कौटुम्बिक पुरुष जा. यावत् प० मुनकर खि० शी स० विशेष बा० बाह्य उ० उपस्थान शाला जा. यावत् प० पीछीदवे ॥ १५॥ त० तब से वह ब० बलगजा प० प्रातःकाल स० समय में स० शय्या से अ० उठकर पा०सिंहासनसे प० उतरकर जेज अ० व्यायाम शाला ते. तहां उ० आकर अ० व्यायामशाला में अ० प्रवेश करे ज. जैसे उ० उववाई में त० तैसे अ० व्यायाम शाला त० तैसे म० स्नानगृह जा. यावत् स० चंद्र जैसे पि०प्रियदर्शन वाला न० जाव पञ्चप्पिणह तएणं ते कोडंबिय पुरिसा जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सविसेसं बाहिरियं उवट्ठाणसालं जाव पञ्चप्पिणंति ॥ १७ ॥ तएणं से चलेराया पच्चूसकाल समयांस सयणिजाओ अब्भुढेइ २ त्ता, पायपीढाओ पच्चोरुहइ २ त्ता, जेणेव अंटण , साला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता, अट्टणसालं अणुप्पविसइ जहा उववाइए, तहेव है अणसाला तहेव मज्जणघरे जाव ससिव्वपियदंसणे नरवई मज़णघराओ पडिणिसिंहासन बनाव र मुझे मेरी आज्ञा पीछी दे दो. उसी समय कौटुम्धिक पुरुषोंने बल राजा से ऐसा वचन सुनकर जैसी बल राजा की आज्ञा थी उस अनुसार सब कार्य किया ॥ १७ ॥ अब बल राजा प्रातःकाल होते शैय्या से उठे और पाद पीठिका से नीचे उतरे. और जहां व्यायामशाला थी वहां आये. व्याया शाला 15 में आकार जैसे उववाइ में कोणिक राजा का अधिकार कहा वैसे ही यहां बल राजा का अधिकार जानना. यावत् 2920 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र १.११ *65 अग्यारवा शतकका अग्यारहवा उद्दशाह
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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