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शब्दार्थ14.
annamrammam
It समृद्धि करने वाला कु. कुलकायश करने वाला कु. कुलाधार कु० कुलपादप कु० कुल वृद्धि करने वाला
सु. सुकुमार पा• हस्तपाद अ० अक्षीण प० प्रतिपूर्ण पं० पंचेन्द्रिय सशरीर जा. यावत् स० चंद्र सो03 'मोम्याकार कं० कान्त पि० मियदर्शन वाला सु० मुरूप दे० देवकुमार स० सरिखी प्रभावाला दा० पुत्र
को प० जन्मदोगे से वह दा० पुत्र उ० मुक्त वा० बाल भावसे वि. विज्ञान प० परिणमते जो० यौवन अ० प्राप्त सू० शूरवीर वि० विक्रान्त वि• विस्तीर्ण विपुल बबल वा. वाहन र० राज्यपति का
कुलजसकरं, कुलाधारं, कुलपायवं, कुलविवठ्ठणकर, सुकुमालपाणिपायं अहीण । पडिपुण्णपंचिंदियसरीरं जाव ससिसोमाकारं कंतं पियदंसणं, सुरूवदेवकुमार समप्पभं दारगं पयाहिसि सेवियणं दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णाय परिणयमेत्ते जोवणगमणुप्पत्ते, सूरे वीरे विकंते विच्छिण्णविपुलबलवाहणे रज्जबई राया भवि
स्सई तं उरालेणं तुम्हे देवी! सुविणे दि जाव आरोग्ग तुहि जाव मंगलकारएणं भावार्थ अवतंसक, कुल तिलक, कुल की कीर्ति करनेवाला, कुल में समृद्धि करनेवाला, कुल में यश करनेवाला,
कुल को आधारभूत, कुल में वृक्ष समान, कुल की वृद्धि करनेवाला, सुकुमार हस्तपांववाला, अक्षीण ok ७ इन्द्रियोंवाला व पूर्ण पांचों इन्द्रियों युक्त शरीरवाला यावत् शशि समान शांत, सौम्याकार, कान, प्रिय, दर्शनीय, सुरूप और देव कुमार समान कान्तिवाला ऐसा पुत्र रत्न तुम को उत्पन्न होगा. और जब ।
Hg पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र *
80 अग्यारवा शतकका अग्यारवा उद्देशा360