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शब्दार्थ देवी सु. स्वप्न दि देखा जा यावत् सि० श्रीरूप तु. तुमने दे. देवी स० स्वम दि. देखा आ० .
आरोग्य त० तुष्ट दी० दीर्घायुः क० कल्याण में मंगल कारी तु तुमने दे० देवी मु० स्वप्न दि० देखा अ० अर्थ लाभ भो० भोग लाभ पु० पुत्र लाभ र० गज्यलाभ तु. तुमको दे० देवानुप्रिये ण. नव मा०॥
व० बहुत प० प्रतिपूर्ण अ० अर्ध अ० आठ रा० रात्रिदिवस वी० व्यतीत होते अ० हमारा बु कुल केतु कु • कुलपर्वत कु० कुल अवतंसक कु• कुलतिलक कु० कुलकी कीर्ति करने वाला कु कुल की
तुम्मे देवी सुविणे दिढे जाव सस्सिरीएणं तुम्हे देवी सुविणे. दिटे. आरोग्गतुट्ठिदीहा. उकल्लाण मंगलकारएणं तुम्हेदेवी ! सुविणे दि8; अत्थलाभो देवाणुप्पिए भोगलाभो देवाणुप्पिए ! पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! रजलाभो देवाणुप्पिए, एवं खलु तुम्हे देवाणुप्पिए ! णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाण अट्ठराइंदियाणं वीइक्वंताण अम्हं कुल.
केउं कुलदीवं कुलपव्वयं कुलवांडंसयं, कुलतिलयं, कुलकित्तिकरं, कुलनंदिकरं भावार्थ:
देवी ! तुमने उदार स्वप्न देखा है, तुमने कल्याणकारी स्वप्न देखा है, यावत् लक्ष्मीवंत स्वप्न तुमने
देखा है, तुमने आरोग्य, तुष्टि, दीर्घायुष्य, कल्याण व मंगल का करनेवाला स्वप्न देखा है, इस से 60 अहो देवानुप्रिये ! तुम को अर्थ लाभ, भोगलाभ, पुत्र लाभ, राज्य लाभ होगा. इस तरह अहो देवानु-1 1 प्रिय ! सवानवमास पूर्ण हुए पीछे हमारे कुल में केतु [ध्वजा ] समान, कुल दीपक, कुल पर्वत, कुल
48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी +
* प्रकाशक-राजाबहादूर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *