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________________ पंचमांगविवाह पण्णत्ति (भगवती ) सूत्र 1880 चित्तासोय पुण्णिमासुणं दिवसाय राईओय समाचेव भवंति; पण्णरसमुहुत्ते दिवसे पण्णरसमुहुत्ता राई भवइ, चउभागमुहुत्त भागूणा चउमुहुत्ता दिवसरसवा राईएवा पोरिसी भवइ सेत्तंप्पमाणकाले ॥ ८ ॥ सेकिंतं अहाउणिव्वत्तिकाले ? अहाउनिव्वत्तिकाले जणं णेरइएणश तिरिक्खोणिएणवा मणुस्सैणवा देवेणवा अहाउणिव्वत्तियं सेत्तं ॥ पालेमाणे अहाउणिव्वत्तिकाले ॥ ९ ॥ सेकिंतं मरणकाले ? मरणकाले जीवोवा सरीराओ सरीरंवा जीवाओ सेत्तं मरणकाले ॥१० ॥ सेकिंतं अहा काले ? अद्धाकाले अणेगविहे पण्णत्ते तंजहा समयट्टयाए, आवलियट्ठयाए, जाव दिन रात्रि मरिखे होते हैं. उस समय पन्नरह मुहूर्त की रात्रि व पन्नरह मुहूर्त का दिन होता है. और एक मुहूर्त के १२२ भागवाले चार भाग कम चार मुहूर्त का दिन की अथवा रात्रि की पौरुषी होती है.?? यह प्रमाण काल हवा ॥ ८॥ अहो भगवन् ! यथायष्य निवत्ति काल किसे कहते हैं? अहो मुदर्शन ! नरक, तिर्यच, मनुष्य व देव में जिस आयुष्य का बंध किया है उसे पालना सो यथायुष्य निवृत्ति काल ७ ॥ ९॥ अहो भगवन् ! मरण काल किसे कहते हैं ? अहो गौतम ! नरक, निर्यच मनुष्य व देवगतिवाले जीवों एक शरीर का त्याग करके अन्य शरीर में जाते हैं सो मरण काल कहा जाता है ॥ १० ॥ अहे है। 869अग्यारवा शतककाअग्यारवा उद्देशा भावाथे 1
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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