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सूत्र
भावार्थ
43१०३ पंचमाङ्ग विवाह पण्णा ( भगवती सूत्र
उक्कोसिया अद्धपंचम मुहुत्ता दिवसस्तवा राईएवा पोरिसी भवइ ॥ ५ ॥ कयाणं भंते! उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्तवा राईएवा पोरिसी भवइ कदाणं भंते! जहणिया तिमुहुत्ता दिवससवा राईएवा पोरिसी भवइ ? सुदंसणा ! जयाणं उक्कोसिए अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवइ जहणिया दुवालस मुहुत्ता राई भवइ तयाणं उक्कोसिया अद्धपंचम मुहुत्ता दिवससवा पोरिसी भवइ जहण्णिया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जयावा उक्कोसिया अट्ठारस मुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुह दिवसे भवइ, तयाणं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, की पौरुषी होती है और जब जघन्य तीन मुहूर्त की पौरुपीवाला रात्रि अथवा दिन है तब प्रतिदिन एक मुहूर्त के १२२ भाग में का एक २ भाग बढाते हुवे साढ़े चार मुहूर्त की दिन की अथवा रात्रि की पौरुषी हात है ||५|| अहो भगवन् ! साढे चार मुहूर्त की दिन की अथवा रात्रि की पौरुषी कब होती है और तीन मुहूर्त की दिन की अथवा रात्रि की पौरुषी कब होती है ? अहो सुदर्शन ! जब उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन व जघन्य बारह मुहूर्त की रात्रि होती है तब साढ़े चार मुहूर्तकी दिन की व तीन मुहूर्त की रात्रिकी पौरुषी होती है और जब उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त की रात्रि होती है और जघन्य बारह मुहूर्तका दिन होता है तब उत्कृष्ट
१० ११ अग्गरवा शतक का अग्याचा उद्देशा
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