________________
१५७६
श्री अमोलक ऋषिजी - 49 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि
मुहुत्ता दिवसस्सवा राईएवा पोरिसी. भवइ तयाणं कइ भाग मुहुत्त भागेणं पायमाणी २ जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स राईएवा पोरिसी भवइ ॥ जयाणं जहण्ण्यिा तिमुहुत्ता दिवसस्सवा राईएवा पोरिसी भवइ तदाणं कइ भाम मुहुत्त भाणं परिवह्नमाणी २ उक्कोसिया अहपंचम मुहुत्ता दिवसस्सवा राईएवा पोरिसी अवइ ? मुदंसणा! जदाणं उक्कोसिया अद्वपंचम मुहुत्ता दिवसस्सवा राईएवा पोरिस भवइ, तदाणं बावीससय भाग मुहुत्तभागेणं परिहायमाणी २ जहाणया तिमुहुत्ता दिवसस्सवा राईएवा पोरिसी भवइ, जयाणं जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्सवा पाईएवा
पोरिसी भवइ तदाणं बावीससय भागमुहुत्त भागेणं परिवठ्ठमाण २. चार पौरुषी का होता है. जघन्य तीन मुहूर्त व उत्कृष्ट साढे चार मुहूर्त की एक पौरुषी होती। अहो । भगवन् ! जब साढे चार मुहूर्त की दिन की अथवा रात्रि की पौरुषी होती है तब कितने भाग कमी. करते जघन्य तीन मुहूर्त की पौरुषी होवे और जब जघन्य तीन मुहूर्न की दिन की व रात्रि की पौरुषी होती है तब कितने भाग बढाते उत्कृष्ट साढे चार मुहूर्त की पौरुषी होती है ? अहो सुदर्शन ! साढे चार मुहूर्न से तीन मुहूर्त तक में देढ मुहूर्त की वधघट १८३ दिन में होती है इस से जब साढे चार मुहर्त का दिन होता है तब एक मुहूर्त के १२२ भाग में का- एक भाग प्रतिदिन कम करते हुवे जघन्य तीन मुहूर्त
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
नावाथे
ANAANANAVAN