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शब्दार्थ
ammam
दृष्ट तु. तुष्ट उ० स्थान से उ० उठकर स० श्रमण भ० भगवन्त म० महावीर को ति० तीनवक्त जा० । यावत् ण० नमस्कारकर एक ऐसा व० बोले क० कितना प्रकार का भं• भगवन् का. काल प० प्ररूपा सु० सुदर्शन च० चार प्रकार का प० प्ररूपा प० प्रमाण काल आ० आयुनिवर्तिक काल म० मरण काली
उट्ठाए २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव णमंसित्ता एवं क्यासी कइविहेणं भंते!
काले पण्णत्ते सुदंसणा ! चउबिहे काले प० त० पमाण काले, अहाउणिव्यत्ति है, काले, मरण काले, अडाकाले ॥ ४॥ से किंतं पमाण काले २ दुविहे पण्णत्ते तंजहा
दिवसप्पमाण कालेय, रत्तिप्पमाणकालेय, चउपोरिसीए दिवसे चउपोरिसीए राई भवइ॥ उक्कोसिया अद्ध पंचम मुहुत्ता दिवसस्सवा गईएवा पोरिसी भवइ, जहणिया तिमु
हुत्ता दिवसरस वा राईएवा पोरिसी भवइ ॥ जयाणं भंते ! उक्कोसिया अपंचम भावार्थ: सुनकर हृष्ट तुष्ट यावत् आनंदित हुवा और श्रमण भगवन्त महावीर स्वामी को तीन आदान व नमस्कार करके ,
ऐसा बोले कि अहो भगवन् ! काल के कितने भेद कहे हैं ? अहो सुदर्शन ! काल के चार भेद कहे। हैं १ प्रमाण काल २ यथायुःकाल ३ मरण काल और ४ अद्धा समय काल ॥४॥ अहो भगवन् ! प्रमाण काल किसे कहते हैं ? अहो सुदर्शन ! प्रमाण काल के दो भेद कहे हैं ? दिन का प्रमाण काल व रात्रि का प्रमाण काल. दिन का प्रमाण काल चार पौरुषी का होता है और रात्रि का प्रमाण काल भी
( भगवती ) सूत्र 488 पंचमांग विवाह पण्णत्ति
302 अग्यारवा शतकका अग्यारवा
उद्देशा