________________
शब्दार्थे 4 आकर स० श्रमण भ० भगवन्त म० महावीर को पं० पांच प्रकार का अ० अभिगम से अ० जावे ।
वह ज० जैसे स० सचित्त द० द्रव्य ज जैसे उ० ऋषभदत्त जा. यावत् ति० तीन प्रकार की १० पर्यु । पासना से प० पूजे ॥२॥ त० तब से वह स० श्रमण भ० भगवन्त म० महावीर सु सुदर्शन से श्रेष्टीको ती० उस म० बडी जा० यावत् आ० आराधिक भ० होवे ॥ ३ ॥ त० तब से० वह सु- सुदर्शन से० श्रेष्टी स० श्रमण भ० भगवन्त म० महावीर की अं० पास ध० धर्म सो० मूनकर णि · अवधारकर ह० ____ त्ता जेणेव दृइपलासे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता
समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ तंजहा सचित्ताणं दव्वाणं । जहा उसभदत्तो जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ॥ २ ॥ तएणं से. समणे - भगवं महावीरे सुदंसणस्स सेट्ठिस्स तीसेय महइ जाव आराहए भवइ ॥ ३ ॥ तएणं
से सुदंसणे सेट्ठी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा णिसम्म हट्ट तुढे भावार्थ बहुत पुरुषों की साथ वाणिज्य नगर की बीच में होकर दूतिपलाश उद्यान में श्रमण भगवंत महावीर स्वामी
की पास जाते सचित्त द्रव्यों का त्याग करना ऐसे पांच अभिगम से श्रमण भगवन्त महावीर स्वामी की
पास गये और मन वचन व काया के योग से पर्युपासना की ॥२॥ फीर श्रमण भगवन्त महावीर स्वामीने | उस महती परिषदा में सुदर्शन शेठ को धर्मकथा सुनाइ ॥ ३ ॥ सुदर्शन शेठ भी महावीर स्वामी से धर्म
1.2 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मनि श्रा अमोलक ऋषिजी
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *