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शब्दार्थ + देखने योग्य जा' यावत् १० प्रतिरूप ॥ २ ॥ त० तहां ह० हस्तिनापुर न० नगर में सि० शिव रा०राजा हो० था म० महा हि० हिमवंत व० वर्णन युक्त || ३ || उ० उन सि० शिव रा० राजा को धा धारणी (दे० देवी हो० थी सु० सुकुमार व वर्णन युक्त ॥ ४ ॥ उ० उन सि० शिव रा० राजा का पु० पुत्र धा० घारणीका अ० आत्मज सि० शिव भद्र कु० कुमार हो० था सु० सुकुमार ज० जैसे सू० सूर्यकान्त [जा० यावत् प० अनुभवते वि विचरता है ॥ ५ ॥ तत उन सि० शिव रा० राजा को अ० फले अकंटए पासादीए जाव पडिरूवे ॥ २ ॥ तत्थणं हत्थिणापुरे णयरे सिवेमं या होत्या; महयाहिमवंत वण्णओ ॥ ३ ॥ तस्सणं सिवस्स रण्णो धारणी णामं देवी होत्था, सुकुमाल वण्णओ ॥ ४ ॥ तस्सणं सिवस्स रण्णो पुत्ते धारणीए अत्तए भिद्दे णामं कुमार होत्था, सुकुमाल जहा सूरियकंते जात्र पश्चवेक्खमाणे २ विहरइ ॥ ५ ॥ एणं तस्स सिवरस रण्णो अण्णयाकयाइं पुव्वरत्तावरन्त काल
उसमें मिठे फल वाले वृक्षों थे और कंटकादि दुःखदायी वस्तुओं से रहित यावत् प्रतिरूप था ॥ २ ॥ उस हस्तिनापुर में शिव नामक राजा था वह महा हिमवंत पर्वत की तरह बडा यावत् वर्णन योग्य था. ॥ ३ ॥ उस शिव राजा को सुकुमार व वर्णन योग्य धारणी नामक देवी थी ॥ ४ ॥ उम शिव कुमार { को धारणी राणी से उत्पन्न हुआ शिवभद्र नामक कुमार था. उस का वर्णन राय प्रवेणी में जैसे सूर्यकांत
सूत्र
भावार्थ
48 अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
# प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
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