SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1555
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब्दार्थ+कुंभी उ० उद्देशा की २० वक्तभ्यता णि निर्विशेष भा० कहना से वह ए. ऐसे भ० भगवन् ॥११॥५॥ है प० पथ भं० भगवन् ए० एक पत्र में कि क्या एक एक जीव अ० अनेक जीव ए. ऐसे उ० उत्पल go उ० उद्देशा की व० वक्तव्यता णि निर्विशेष भा० कहना से• वह ए. ऐसे भं० भगवन् ॥११॥६॥ १५२५ 3 क. कणिका भं० भगवन् ए० एक पत्र में कि० क्या ए. एक जीव अ० अनेक जीव ए. ऐसे उ• as उत्पल उ० उद्दशा की व० वक्तव्यता णि निर्विशेष भा० कहना ॥ ११॥७॥ ४ वसेसा भाणियन्वा ॥ सेवं भंते २ त्ति ॥ ॥ एगारस सयस्सय पंचमो उद्देसो ॥११॥५॥ पउमेणं भंते! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे एवं उप्पलहेसगवत्तव्वया णिरवसे. सा भाणियव्या ॥ सेवं भंते २ ति ॥ एगारस सयस्सय छ8ो उद्देसो सम्मत्तो 842 अग्यारवा शतक का छठा उद्देशा 48 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भवग कण्णिएणं भंते! एगपत्तए किं एगजीवे अणेगजीवे एवं चेव गिरवसेसं भाणियध्वं ॥ ? सेवं भंते भंतेत्ति ॥ एगारस सयस्सय सत्तमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ ११ ॥ ७ ॥ - जैसे सब कहना ॥ ११ ॥ ५ ॥ -- म अहो भगवन् ! क्या पय कमल के पत्र में एक जीव है या अनेक जीव हैं ? अहो गौतम ! उत्पल जैसे Joसबकथन कहना ॥११॥६॥ - अहो भगवर ! कणिका में एक जीव है या अनेक जीव हैं ?अहो गौतम! ऐसे ही सब कहना॥११॥७॥
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy