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सूत्र
भावार्थ
409 पंचमांग विवाह पण्णति ( भगवती ) सूत्र
गतिं करेजा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं संखेज्जाई भवग्गहणाई; कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं संखेज्जं कालं एवइयं कालं सेवेज्जा एवइयं कालं गइरागतिं करेज्जा ॥ एवं तेइंदिय जीवेवि एवं चउरिंदियजीवेवि ॥ ३१ ॥ सेणं भंते! उप्पलजीवे पंचिदिय तिरिक्ख जोणिय जीवेति पुच्छा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणणं दो अंतमुत्ता उसे पुव्वकोडिपुहुत्तं एवइयं कालं सेवेज्जा एवइयं कालं गइरागतिंकरेजा || एवं मणुस्सेणवि समं जाव एवइयं कालं गइरागर्ति करेजा ॥ ३२॥
( बेइन्द्रिय में उत्पन्न होवे तो कितना काल तक में उत्पन्न होवें और उन में गमनागमन करे ? अहो गौतम ! भवादेश से जघन्य दो भव ग्रहण उत्कृष्ट संख्यात भव ग्रहण, कालादेश से जघन्य दो अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट संख्यात काल ऐसे ही तेइन्द्रिय व चतुरेन्द्रिय का जानना ॥ ३१ ॥ अहो भगवन् ( पंचेन्द्रिय में उत्पन्न होकर पीछे उत्पल में कितने काल में उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! दो भव उत्कृष्ट आठ भव. कालादेश से जघन्य दो अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट प्रत्येक पूर्व क्रोड. का जानना इतना काल तक सेवन कर इतना काल तक गमनागमन करे || ३२ ॥
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उत्पल का जीव भवादेश से जघन्य ऐसे ही मनुष्य अहो भगवन् ! वे
44 अग्याखा शतकका पहिला उद्देशा
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