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सूत्र
भावार्थ
ॐ पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
अहवा बंधगाय अबंधगेय, अहवा बंधगाय अबंधगाय एए अट्ठ भंगा ॥ ६ ॥ तेणं भंते ! जीवा णाणावरणिज़स्स कम्मस्स किं वेदगा अवेदगा ? गोयमा ! णो अवेदगा वेदएवा वेदगावा, एवं जात्र अंतराइयस्स ॥ ७ ॥ तेणं भंते! जीवा किं सायावेदगा असायावेदगा ? गोयमा ! सायात्रेदएवा असातावेदएवा अट्ठ भंगा ॥ ८ ॥ तेणं भंते! जीवा णाणावरजिस कम्मस्स किं उदई अणुदई ? गोयमा ! णो अणुदई उदईवा उदइणोवा
अग्यारखा शतकका पहिला उद्देशा -40
एवं जाव अंतराइयस्स ॥ ९ ॥ तेनं भंते जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं उदी ऐमे आठ भांगे जानना ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! क्या वे ज्ञानावरणीय कर्म के वेदक हैं या { अवेदक हैं ? अहो गौतम ! एक जीव आश्री वेदक है और बहुत जीव आश्री वेदक हैं। ऐसे दो भांगे जानना. ऐसे ही अंतराय तक का जानना ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! क्या वे जीव) सुख वेदनेवाले हैं या दुःख वेदनेवाले हैं ? अहो गौतम ! साता वेदनेवाले व असाता वेदनेवाले वगैरह आयुष्य बंध के आठ भांगे जैसे यहां आठ भांगे कहना ॥ ८ ॥ अहो भगवन् ! क्या उन जीवों को { ज्ञानावरणीय कर्म का उदय होता है या उदय नहीं होता है ? अहो गौतम ! उन को अनुदय नहीं है। परंतु उदय आश्री एक वचन व द्विवचन ऐसे दो भांगे होते हैं. ऐसे ही अंतराय कर्म तक जानना ॥ ९ ॥ ३०
अहो भगवन् ! उन जीवों को क्या उदीरणा होती है या उदीरणा नहीं होती है ? अहो गौतम ! उदी
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