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________________ age wvvvie ww पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) सूत्र उववजति ? गोयमा! णो णेरइएहितो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, मणुस्सदेवेहितो वि उववजंति, एवं उववाओ भाणियब्बो, जहा वकंतीए वणस्सइकाइयाणं जाव ईसाणोत्ति ॥ २ ॥ तेणं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उववजंति? गोयमा! जहण्णेणं एक्कोवा दोवा तिाण्णवा, उक्कोसेणं संखेजावा, असंखे जावा उक्वजति ॥ ३ ॥ तेणं भंते ! जर्जावा समए समए अवहीरमाणा अवहीरमाणा केवइयकाले अवहीरंति ? गोयमा! तेणं असंखेजा समए २ अवहीरमाणा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरति णो चेवणं अवहिरिया सिया ॥ ४ ॥ नहीं उत्पन्न होते हैं बाकी तीनों गनिवाले उत्पन्न होते हैं. इस का विशेष खुलासा पन्नवणा सूत्र के छठे पद में वनस्पतिकाय में उत्पन्न होने का जो कथन कहा है वैसे ही यहां भी कहना यावत् दूमरे ईशान देवलोक मे चक्कर देवता उत्पल कमल में उत्पन्न होते हैं ॥ २॥ अहो भगवन् ! एक समय में कितने जीव उत्पन्न होते. हैं ? अहो गौतम : एक समय में जघन्य एक, दो, तीन उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात उत्पन्न होते हैं ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! वे जीवों नीकलते हुवे कितने समय में सब जीवों नीकल सके ? अहो गौतम ! एक २ समय में असंख्यात २ जीवों नीकलते असंख्यात अवसर्पिणी उत्सर्पिणी व्यतीत है। 43-23 अग्यारवा शतकका पहिला उद्देशान भावार्थ 488
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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