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+18 पंचमाङ्ग विवाह पण्णात्रीि (भगवती ) सूत्र Pain
सीओ पण्णत्ताओ तं. रोहिणी, मदणा, चित्ता, सोमा, ॥ तत्थणं एग सेसं जहा चमरलोगपालाणं, णवरं सयंप्पभे विमाणे, सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि सेसं तंचेव ॥ एवं जाव बेसमणस्स, णवरं विमाणाई जहा तइयसए ॥ २२ ॥ ईसाणसणं भंते ! पुच्छा ? अजो ! अट्ट अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तंजहा कण्हा, कण्हराती, रामा, रामरक्खिया, वसू, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुंधरा ॥ तत्थणं एगमेगाए सेसं जहा सक्कस्स ॥ ईसाणस्सणं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स
महारण्णो कति अग्गमहिसीओ पुच्छा ? अजो! चचारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ आर्यो ! जैसे चमरका कहा वैसे ही जानना. अहो भगवन् ! शकेन्द्र के सोम महाराजा को कितनी अग्रमहिषियों कहीं ? अहो आर्यों ! चार अग्रमहिषियों कहीं. जिन के नाम रोहिणी, मदना, चित्रा, व सोमा शेष सब अधिकार चमरेन्द्र के लोकपाल जैसे कहना. मात्र यहां स्वयंभ विमान में सोम सिंहासन से कहना वैसेही यम वरूण व वैश्रमण का जानना परिवारादिक का आपकार तीसरा शतक जैसे कहना ॥२२॥ अहो भगवन् ! ईशानेन्द्र को कितनी अग्रमहिषियों कहीं? अहो आर्यों ! आठ अग्र महिषियों कहीं. ११ कृष्णा २कृष्णराती ३ रामा ४ रामरक्षिता ५ वमु ६ वसुगुप्ता ७ वसुमित्रा और ८ वसुंधरा इस के
48208:00 दशा शतक का पांचवा उद्देशा
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