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________________ 4.अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी.. पुच्छा ? अज्जो अट्ट अग्गमहिमीओ पण्णत्ताओ तं. पउमा. सिवा सेवा, अंजू. अमला, अच्छरा, नवमिया, रोहिणी ॥ तत्थणं एगमेगाए देवीए सोलस २ देवी सहस्सपरिवारो पण्णत्तो ॥ पभूणं ताओ एगमेगा देवी अण्णाई सोलस २ देविसहस्साइं परिवार विउवित्तए, एवामेव सपुत्वावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देवि सयसहस्सं परिवारो विउवित्तए, सेतंतुडिए ॥ पभूणं भंते ? सक्के देविंद देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवार्डसए विमाणे सभाए मुहम्माए सक्कंसि सीहासणांस तुडिएणं सहिं सेसं जहा चमरस्स णवरं परिवारो जहा मोओसिए ॥ सक्करसणं भंते ! देविंदस्स देवरण्णा सोमस्स महारणो कति अग्गमहिसीओ पुच्छा ? अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिआठ अग्रमहिषियों कही. १. पद्या, २ सिवा, ३ सेवा, ४ अंजू, ५ अमला, ६ अप्सरा ७ नवमिका ८ व रोहिणी. एक देवी को सोलह २ हजार देवियों का परिवार रहा हुवा है और एक देवी सोलह हजार क्रेय रूप कर सकती है इससे १२८ हजार देवियों परिवारवाली होती है, इससे त्रुटित संज्ञा होती है. अहो भगवन् ! शक्र देवेन्द्र देवराजा सौधर्म देवलोक के सौधर्मावतंसक विमान की सुधर्मा सभा में शक्र सिंहासन पर से त्रुटित संख्याकाली देवियों की साथ भोग भोगने के लिये क्या इतने रूप कर सकते हैं ! अहो प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ -
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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