SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1529
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Beta पंचमांग विवाह पण्णति (भगवती) सूत्र आइच्चा, अच्चिमाली, पभंकरा ॥ सेसं तहेव जाव णो चेवणं मेहुणवत्तियं ॥२०॥ इंगालस्सणं भंते ! महागहस्स कति अग्गमहिसीओ पुच्छा ? अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तं० विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिता ॥ तत्थणं एगमेगाए देवीए सेसं तंचेव ॥ जहा चंदस्स णवरं इंगालवडिसए विमाणे, इंगालगंसि सिंहासणसि सेसं तंचेव ॥ एवं वियालस्सवि ॥ अट्रासीएवि ॥ महागहाणं वत्तव्वया गिरवसेसा भाणियव्वा जाव भावके उस्स, णवरं वडिंसगा सीहासणाणिय सरिसणामगाणि ॥ सेसं तंचेव ॥ २१ ॥ सक्कस्सणं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो कादशवा शतकका पांचवा उद्देशा 428989 भावार्थ सूरप्रभा, आदित्या, अर्चिमाली व प्रभंकरा जानना. शेष सत्र अधिकार पूर्वोक्त जैसे कहना यावत् मैथुन a. सेवन करने को वैक्रेय नहीं कर सकते हैं ॥ २० ॥ अहाँ भगवन् ! इंगाल नामक महा ग्रह को कितनी अग्रमहिषियों कहीं ? अहो आर्यो ! चार अग्रमहिषियों कहीं जिन के नाम विजया, वैजयंती, जयंती व अपराजिता शेष सब अधिकार चंद्र जैसे कहना. मात्र इस में इंगाल वडिंसग विमान व इंगाल सिंहामन का कहना. ऐसे ही अठासी ग्रह का कहना. मात्र अवतंसक व सिंहासन जिन के जो नाम है वैसा । कहना ॥ २१ ॥ अहो भगवन् ! शक्र देवेन्द्र को कितनी अग्रमहिषियों कही ? अहो आर्यों! शक्रेन्द्र को है। 488
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy