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8 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी gh
स्सणं भंते! णागकुमारिंदस्स कालवालस्स लोगवालस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-असोगा, विमला, सुप्षभा, सुदंसणा, ॥ तत्थणं एगमेगाए देवीए अवसेसं जहा चमरलोगपालाणं, सेसाणं तिहिवि ॥ ९ ॥ भूयाणंदस्सणं भंते ! पुच्छा ? अज्जो ! छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-रूया, रूअंसा सुरूवा, रूयगावई, रूपकांता, रूयप्पभा ॥ तत्थणं एगमेगाए देवीए अवसेसं जहा धरणस्स ॥१०॥ भूयाणंदस्सणं भंते ! णागकुमारस्स चित्तस्स पुच्छा ? अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तंजहा- सुनंदा, अहो आर्यो ! चार अग्रमहिषियों कही. जिन के नाम अशोका, विमला, सुप्रभा, व सुदर्शना. उस का सब वर्णन चमरेन्द्र के सोम लोकपाल जैसे कहना और, एसे ही शेष तीन का जानना ॥९॥ अहो । भगवन ! भतानेन्ट को कितनी अग्रमहिषियों कहीं? अहो आर्यो ! छ अग्रमाहिषियों कहीं. जिन के नाम. १ रूपा २ रूपांशा ३ सुरूपा ४ रूपकावती ५ रूपकान्ता ६ और रूपप्रभा. इन का सब अधिकार,
धरणेन्द्र जैसे कहना ॥ १० ॥ भूतानेन्द्र के चित्र नामक लोकपाल को चार अग्रमहिपियों कही. सुनंदा, * सुभद्रा, सुजाता व सुमना. इन का सत्र अधिकार चमरेन्द्र के लोकपाल जैसे कहना, और शेष तीन लोक
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी,
मावाथे