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19448 . पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र *
असणी ॥ तत्थणं एगमेगाए देवीए सेसं जहा चमरस्स ॥ एवं जाव वेसमणस्स ॥ ६ ॥ धरणस्सणं भंते ! णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णो कइ अग्गमहिसीओ प० अजो ! छ प० तंजहा-अला, सक्का, सतेरा, सोदामिणी, इंदा, घणविज्जुया !॥ तत्थणं एगमेगाए देवीए छ छ देविसहस्सा परिवारो पण्णत्तो ॥ पभूणं ताओ एगमेगा देवी अण्णाई छछ देविसहस्साई परियारं विउवित्तए एवामेव सपुवा वरेणं छत्तीसं देविसहस्साइं से तं तुडिए ॥ पभूणं भंते ! धरणे सेसं तंचेव ॥ णवरं
धरणाए रायहाणीए धरणंसि सीहासणंसि सओ परिवारो सेसं तंचेर ॥ ७ ॥ धरणजैसे सोमका कहा वैसे ही शेष तीन लोकपालों का कहना ॥६॥ अहो भगवन् ! धरण नामक नाग कुमारेन्द्र को कितनी अग्रमहिषियों कहीं ? अहो आर्यो ! छ अग्रमहिपियों कही हैं. १ अला, २ शक्रा, ३ शतेरा, ४ सौदामिनी, ५ इन्द्रा, और ६ घन विद्युता. उन में से एक २ देवी को छ २ हजार का
बार है. और एक देवी छ २ हजार वैकेय करती है. इस तरह सब मंख्या एक त्रुटित होती है. अहो भगवन् ! धरणेन्द्र धरणा राज्यधानी की मुधर्मा सभा में धरण सिंहासन पर बैठे हुवे क्या त्रुटित संख्यावाली देवियों साथ वैक्रेय रूप करने को समर्थ हैं ? अहो आर्यों ! जैसे चमरेन्द्र कहा वैसे ही यहां जानना ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! धरणेन्द्र के कालवाल लोकपाल को कितनी अग्रमहिषियों कहीं
420403 दशवा. शतकका पांचवा उद्देशा 9888
भावार्थ
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