SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1510
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ Fó सू भावार्थ 2 अनुवादक - बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी चमर अ असुरेन्द्र अ० असुरराजा के ताः प्रायखिंदक दे० देवपने उ उत्पन्न हुवे || ३ || मं भगवन् का० काकँदक ता० तेत्तीस सर सहायक स० श्रमणोपासक च० चमर अ० असुरेन्द्र अ० असुर राजा के ता० प्रायशिकपने उ० उत्पन्न हुवे व तहां भ० भगवन् गो० गौतम सा० श्यामहस्ती अ अनगारने ए० ऐसा वुः बोलते स० शंकित कं० कांक्षित वि० वितिगिच्छावाला २० स्थानसे उ० उठकर (सा० श्यामहस्ती अ० अनगार स० साथ जे० जहां स० भ्रमण भ० भगवन्त म० महावीर ते० तहां उ० तायत सगा देवताए उबवण्णा ॥ ३ ॥ जप्पभिचणं भंते ! कायदगा तायत्तीसं सहाया समणोवासगा चमरस्स असुरिंदरस असुररण्णो तायत्तीसगदेवत्ताए उबवण्णा; तप्पभिइंचणं भंते ! एवं वुच्चइ चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णी तायत्ती लगादेवा २ ? तत्थणं भगवं गोयमे सामहात्थणा अणगारेणं एवं वृत्ते समाणे संकिए कखिए विति उट्ठाए उट्ठेइ उट्ठेहता सामहरिथणा अणगारेणं सद्धिं जेणेव समणे (त्रिंशक देवतापने उत्पन्न हुए || ३ || अहो भगवन् ! जबसे वे तेत्तीस श्रावकों चमर नामक असुरेन्द्र के त्रायत्रिशक पने उत्पन्न हुए उमदिन से वे चमरेन्द्र के त्रयत्रिंशक कहान है. फीर श्याम हस्तीने पूछा कि क्या पहिले त्रयत्रिंशक नहीं थे ? ऐसा पुछने पर गौतम स्वामी को शंका कांक्षा व विचिकित्सा उत्पन्न हुई और अपने स्थानके उठकर श्यामहस्ती आचार्य की साथ श्रमण भगवन्त महावीर स्वामी की पासगये और महावीर * प्रकाशक - राजा बहादुर लाला सुखदेवसहायजार्लज्वाप्रसवदज १.४८०
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy