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________________ शब्दार्थ | सूत्र भावार्थ १०३ अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी अश्व मं० भगवन् घा० दौड़ता किं० कैसे खुद खुखु क० करे गो० गौतम आ० अश्व घा० दौडता हि० ? ( हृदय ज० उदर की अं अंतर में क० कर्कट वा वायु म० उत्पन्न होवे जे० जिस से आ० अश्व धा० ( दौडता खु० खुखु कः करे ॥ ७ ॥ अ० अथ मं० भगवन् आ० आश्रय लेंगे स० सोवेंगे चिः खडे रहेंगे। नि० बैठेंगे तु० आराम करेंगे आ० आमंत्रणा आ० आज्ञापनी जा० याचनी पु० पुछनी प० प्रज्ञापनी * प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * स किं खक्खुत्ति करेइ ? गोयमा ! आसरसणं धावमाणस्स हिययस्सय जगयस्सय अंतरा एत्थ कक्कड नाम वाए समुच्छिए जेणं आसस्स धात्रमाणस्स खुखुत्ति करे इ ॥ ७ ॥ अह मंते ! आसइस्सामो, सहस्सामो, चिट्ठिस्लामो निसीइस्लामो तुयहिसामो, " आमंतिणि आणवणी, जायणी तह पुच्छणीय, पण्णवणी पच्चक्खाणी भासा (ऐसे चार दंडक कहना ॥ ६ ॥ गति के प्रसंग से अश्व की गति का कथन करते हैं. अहो भगवन् शीघ्र दौडते दुबे अश्व के पेट में 'खुखु ' ऐसा शब्द क्यों होता है ? अहो गौतम ! जब अश्व दौडता है तब उस हृदय व वाम कुक्षि इन दोनों की बीच में कर्कट नामक वायु उत्पन्न होता है जिस से खु खु शब्द होता है। ३ ॥ ५ ॥ शब्द के अनुसार से भाषा का प्रश्न पूछते हैं. अहो भगवन् ! कोई कहे कि आश्रय ग्रहण योग्य | वस्तु का हम आश्रय ग्रहण करेंगे, शयन करेंगे, खडे करेंगे, बैठेंगे व रहेंगे ओर भी १ आमंत्रण करने को भाषा जैसे भो देवदत्त ! २ किसी कार्य में अन्य को प्रेरणा करना कि यह कार्य करा सो आज्ञापनी १.४७४
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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