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शब्दार्थ
2 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
सशत सहस्र गो० गौतम ती. तीस नरकाबास सः शत सहस्रति तीम प. पञ्चीस प.पंदरह ददश स० शत सहस्र ति० तीन ए. एक पं० पांचकर पं० पांच अ. अनतर न. नरक । भं० भगान् अ. असुर कुमार के आ. मानसशासचा० चौ अमुर कुमार के च० चौराती हो. है ना. नागकुमार के बा० बोहता मुक सुवर्ण कुमार के वा. वायु कुमार के छ• छभवे
सयसहस्सा पन्नत्ता ? गोयमा ! तीसं निरयावास सयसहस्सा प० ॥ गाहा-तिसाय पण्णवीसा, पन्नरस दसेवय सयसहस्सा ॥ तिण्णेगं पंचूर्ण, पंचेव अणुत्तरा निरया ॥१॥ केवइयाणं भंते : असरकमारावास सयसहस्सा प० ? एवं-चोसट्री असे.
राणं, चउरासीईय होइ नागाणं । बायत्तरि सुवन्नाणं, वाउकुमाराण छण्णउई ॥१॥ पहिली नरक में कितने लाख नर कावास कहे हैं ? अहो गोतम ! इस रत्नप्रभा नामक पृथ्वी में तीस लाख नरकाबास कहे हैं. दनरी शर्कर प्रना में पचीस लाख नरकाबास कहे हैं. तीसरी बालु प्रभा में पदरह लाख, चौथी पंकसभा में दश लाख, पांचवी धूमप्रभा में तीन लाख, छठी में पांच कम एक लाख, और मातमी में पांव नरकावाल कहे हैं. सब मील कर चौरासी लाख नरकावास होते हैं. ॥१॥ अहो भगवन ! अमुर कुमार के कितने लाख भवन कहे हैं ? अहो गौतम : अमुर कुमार के चौसठ लाख भवन हैं उसमें से चौतीस लाख दक्षिण में व३० लाख उत्तर में हैं, नागकुमार के चौरासी लाख
* मशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ