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________________ सूत्र भावार्थ 48 पंचांग विवाह पण्णत्त ( भगवती ) सून 809603 देसे || अहवा एगंदिय देसाय बेइदियरस देसा || अहवा एगिंदिय देसाय, चेइंदि याणयदेसा || अहवा एगिदियदेसा, तेइदियस्स देसे एवं चेत्र तिय भंगो भाणियन्वो ॥ एवं जाव अणिदियाणं, तियभंगो ॥ जे जीवप्पएसा ते नियमा एगिंदियप्पएसा, अहवा एगिंदियप्पएसाय, बेईदियरस पएसा || अहवा एर्गिदियप्पएसाय, बेइंदियाणय पसा, एवं आदिल्ल विरहिओ जाव अनिंदियाणं ॥ जे अजीवा ते दुबिहा पण्णत्ता, जीव प्रदेश हैं और अजीव, अजीव देश व अजीव प्रदेश है. उन में जो जीव देश है वे निश्चय एकेन्द्रिय { जीव देश है क्यों कि एकेन्द्रिय सर्व लोक व्यापी होने से अग्नयी दिशा में इन के देश रहते हैं यह असंयोगी एक भांगा, द्विसंयोगी तीन भांगे एकेन्द्रिय सब लोक व्यापी होने से एकेन्द्रिय देश में बहुवचन होता {है और बेइन्द्रिय देश व्यापी होने से अल्पपना से किसी स्थान एक देश का भी संभव होता है इस से एकेन्द्रिय के बहुत देश व बेइन्द्रिय का एक देश २ एकेन्द्रिय के बहुत देश व बेइन्द्रिय के { भांगा जब द्वयादिक देश से स्पर्शे तब पावे, ३ अथवा बहुत एकेन्द्रिय के बहुत देश व बहुत बेइन्द्रिय के बहुत देश. यों द्विसंयोगी तीन भांगे हुवे. ऐसे ही एकेन्द्रिय तेइन्द्रिय से तीन भांगे कहना. ऐसे ही एके(न्द्रिय चतुरेन्द्रिय, एकेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय व एकेन्द्रिय अनेन्द्रिय के द्विसंयोगी तीन २ भांगे जानना. यह देश के ५ भांगे कहे. ऐसे ही प्रदेश के भांगे कहना. परंतु बेइन्द्रियादिक में प्रदेशपना में बहुवचन बहुत देश, यह २००४ दशवां शतकका पहिला उद्देशा १४५७
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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