SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ १४५४ 48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 87 उ०. ऊर्ध्व १०. ऐसे अ. अधो ॥ १॥ क० कितनी भ० भगवन् दि० दिशा ५० प्ररूपी मो० ॥ गौतम द० दश दिशा प० प्ररूपी तं० वह ज जैसे पु० पूर्व पु० अनि दा दक्षिण ९ नैऋत्य प प०. पश्चिम ५० वायव्य उ० उत्तर उ. ईशान उ ऊर्ध अ० अधो॥२॥ ए. इन भ० भगवन् द० दश दिशा के क• कितने ना० नाम ५० प्ररूप गो० गौतम द० दश नाम प० प्ररूपे इ० इन्द्रा अ० अग्नेयी एवं चेव ॥ एवंच दाहिणा ॥ एवंच उदीणा ॥ एवं उड्डा ॥ एवं अहोवि ॥१॥ कइणं भंते ! दिसाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! दस दिसाओ पण्णत्ताओ, तंजहा पुरच्छिमा, पुरच्छिम दाहिणा, दाहिणा, दाहिण पच्चच्छिमा, पञ्चच्छिमा,पञ्चच्छिमुत्तरा,उत्तरा उत्तर पुरच्छिमा, उड्डा, अहो ॥२॥ एयंसिणं भंत ! दसण्हं दिसाणं कइ नामधेजा पण्णता? गोयमा ! दस नाम धेजा पण्णत्ता, तंजहा (गाथा) इंदा अग्गेयीय जमा य नेरई। पश्चिम; दक्षिण, उत्तर, ऊर्ध्व व अधो का जानना. ॥2॥ अहो भगवन् ! दिशाओं कितनी कही ?" अहो गौतम ! दिशाओं दश कही उन के नाम पूर्व, पूर्व दक्षिण, [अग्नि दक्षिण, दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य) पश्चिन, पाश्चम उत्तर (वायव्य ) उत्तर, उत्तर पूर्व (ईशान ) ऊर्ध्व व अधो ॥२॥ अहो भगवन् ! इन दश। दिशाओंके कितन नाम कहे हैं ? अहा गौतम! इ. दश दिशाओंके दश नाम कहे हैं. १ इन्द्रा २ अग्नेयी ३१ यया ४ नैऋती ५ वारुणी ६ वायव्या ७ सोमा ८ ऐशानीक ९ विमला और १० तमा इन में से चार प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy