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) सूत्र :
याणं भंते ! पुढवी काइयं आणमंतिवा पाणमंतिवा, एवं चैव, आउकाइयं चेव आणमंतिवा, एवं चेव ॥ एवं तेऊ वाउ वणस्सइ काइयं ॥ तेऊकाइयाणं भंते ! पुढवी काइयं आणमंतिवा जाव वणस्सइ काइयाणं भंते ! वणस्सइ काइयं चेव आणमंतिवा तहेव ॥ ८ ॥ पुढवी काइएणं भंते ! पुढवी काइयं चेव आणममाणेवा, पाणममाणेवा ऊससमाणेवा, नीससमाणेवा कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सियपंचकिरिए।पुढवी काइएणं भंते! आउकाइयं आणममाणेवा एवंचेव एवं जाव
वणस्सइ काइएणवि ॥ एवं आउकाइएणवि सब्वे भाणियन्वा , एवं तेऊ काइएणवि, श्वास लेते हैं. ऐसे ही पृथ्वी काया तेउकायिक वायुकाया, व वनस्पति काया का वासोश्वास लेते हैं ॥७॥ अहो भगवन् ! क्या अप्कायिक जीव पृथ्वी काय का श्वासोश्वास लेते हैं ? हां गौतम ! अप्कायिक जीव में पृथ्वोकाया का वामोश्वास लेते हैं. ऐसे ही अकायिक अप्काय, तेउकाय, वायुकाय व वनस्पतिकाय का श्वासोश्वान लेते हैं. ऐसे ही तेउकाय, वायुकारिक, वनस्पतिकायका जानना।।८॥ अहो भगवन्! पृथ्वीकाया है पृथ्वीकायाका श्वानाधान लेते कितनी क्रियाओं करे ?अहो गौतम! पृथ्वीकाय पृथ्वीकायाक श्वासाश्वासलते ही सामान्य पंडा स्पा करते विशष पीडा करते तीन चार व वध करते पांचक्रिया करते हैं. अहो भगवन् ! पृथ्वीकायिक अप्काया का वासोचास लेते कितनी क्रिया करे ? अहो गौतम ! क्वचित् तीन, क्वचित् चार ।
नवधा शतक का चौती
भावार्थ
428 पंचभाग विवाह पण्णत्ति ( भगवती
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॥ उद्देशा 48