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शब्दार्थ 41ठि० स्थितिवाले से० तेरह सागरोपमकी ठि० स्थितिवाले ॥२२॥ क० कहां भं० भगवन् ति तीन पल्यो- *
पम की ठि० स्थिनिवाले दे देवकिल्लिषि ५० रहते हैं गो गौतम उ० उपर जो ज्योतिषी हे० नीचे सधर्म ईशान क० देवलोक की ति० तीन पल्योपम की ठि० स्थितिवाले दे० देवकिल्विषि १० रहते हैं। कहां भं भगवन् ति तीन सा. सागरापम की ठि. स्थितिवाले दे० देवकिल्लिपि प० रहते हैं गो० गौतम उ० उपर मो० सौधर्म ईशान क० देवलोक को हे० नीच स० सनत्कुमार मा० माहेन्द्र देवलोक की ति०
गरोवमट्टिईया, तेरस सागरोवमट्टिईया ॥ ९२ ॥ कहिणं भंते ! तिपलिओवमदिईया देवकिन्विसिया परिवसंति ? गोयमा । उप्पिं जोइसियाणं हिदिँ सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु एत्थणं तिपलिओवमट्रिईया देवकिन्विसिया परिवसंति । कहिणं भंते ! तिसागरोवमट्टिईया देवकिब्विासिया परिवसंति ? गोयमा ! उप्पिसोहम्मीसाणाणं
कप्पाणं हिट्टि सणंकुमारमाहिदेसु एत्थणं तिसागरोवमट्टिईया देवकिदिवसिया परिवसंति भावार्थ वाले व तेरह सागरोपमकी स्थितिवाले॥१२॥हो भगवन् ! तीन पल्यापम की स्थितिवाले देव कहां रहते हैं?
अहो गौतम! ज्योतिषी देवलोककी उपर और सौधर्म ईशान देवलोककी नीचे तीन पल्योपमकी स्थितिवाले किलिषी देव रहते हैं. अहो भगवन् ! तीन सागरोपमकी स्थितिवाले किल्विषी देव कहां रहते हैं? अहो गौतम * मौधर्म ईशान देवलोक की उपर व सनत्कुमार माहेन्द्र देवलोक की नीचे तीन सागरोपम की स्थितिवाले
बालग्रमचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी +
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी
आयजी ज्वालाप्रसादजी *