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शब्दार्थ
सूत्र
भावार्थ
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जा० पुत्र प० पराक्रम करना चाहिये ना पुत्र अ० इस अ० अर्थ में गो० नहीं प०यमाद करना चाहिए (तिः ऐसा करके ज० अमाली ख० क्षत्रिय कुमार के अ० माता पिता स० श्रमण भ० भगवन्त म० महावीर को वं० वंदनकर ण० नमस्कार कर जा० जिम दि० दिशि से पा० आये ता० उसदिशि में प० पीछेगये ६॥ ७२ ॥ त० तब से वह ज० जमाली ख० क्षत्रिय कुमार स० स्वयं पं० पंचमुष्टि लो० लोच क० करके जे० जहां स० श्रमण भ० भगवन्त प० महावीर ते० तहां उ० जाकर ज जैसे उ० ऋषभदत्त त० तैसे प० प्रवजित हुए १०. विशेष पं० पांच पु० पुरुष स० शत स० साथ त ? तेतै जा ० यावत् सा तवत्तिक, जमालिस खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो समणं भगवं महावीरं वदति णमंसंति जामवदिखि पाउन्भूया तामेवदिसिं पडिगया ॥ ७२ ॥ तणं जमाली वत्तियकुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेइ ता 1 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ ता एवं जहा उसभदत्तो तहेव पव्वइओ वरं पंचहि पुरिस सएहिं सद्धिं तहेव जाव सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइश्रमण भगवंत श्री महावीर स्वामी को वंदना नमस्कार करके जिस दिशि में से आये थे उस दिशी में ( पीछे गये ॥ ७२ ॥ पीछे जमाली कुमारने स्वयमेव पंचमुष्टि लोच किया और महावीर स्वामी की पास { जाकर जैसे ऋषभदत्त ने दीक्षा अंगीकार की उस विधि से दीक्षा अंगीकार की. विशेष में नमाली कुमारने
42 अनुवादक बालब्रह्मचारी माने श्री अमोलक ऋषिजी *
★ प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादनी
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