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________________ +4 १९ शब्दार्थ * ष्ट तु० तुष्टः स० श्रमण भ० भगवन्त म. महावीर को ति० तीनवक ना० यावत् १० नमस्कार कर ईशान कौन में अ० जाकर स० स्वयं आ० आभरण म० माला अ. अलंकार उ० उतारे सा. वह ज. जमाली ख. क्षत्रिय कुमार की मा० माता है. इस लक्षण वाला प० वख मे आ० आम-10 रण म० माला अ० अलंकार ५० ग्रहण कर हा० हार वा० वारि घा० धार जा. यावत् वि० छोडती ज० जमाली ख० क्षत्रिय कुमार को एक ऐसा व० बोली घ० घटाना चाहिए पु० पुत्र ज० यत्न करना चाहिये पुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ २ त्ता सयमेव आभरणमल्लालंकार उमुयति तएणं सा जमालरस खत्तियकुमारस्स माता हंसलक्खणणं पडसाडएणं आभरणमल्लालंकार पडिच्छइ २ त्ता हारवारिधार जाब विणिम्मुयमाणी २ जमाल खत्तियकुमारं एवं वयासी-घडियन्वं जाया! जड्यन्वं जाया!परक्कामयव्वं जाया!अस्सिचणं अटे णो पमादेभावार्थ में मये और वहां सपमेव आभरण माला अलंकार नीकालने लगे. उस समय जमाली कुमार की माता। हंस समान श्वेत वस्त्र में आभरण अलंकार लेनी दुइ व तूटाहुवा हार में से जैसे मोनी पडे वैसे. अश्रु । वर्षाती हुई अमाली क्षत्रिय कुमार को ऐसा बोली अहो पुत्र ! जिन संयम योगों की प्राप्ति नहीं हुई है, 36 उसे प्राप्त करना, जिन संवम योगों कि प्राप्ति हुई है उन में यत्न करना; और संयम के फल को सिद्ध करने के लिये पराक्रम करना. इस कार्य में प्रमाद मत करना ऐसा कहकर जमाली क्षत्रिय कुमार के माता पिता पंचमान विवाह पत्ति (भगवती) सूत्र 4884 नववा शतकका तेत्तीमया उद्देशा 48882 488
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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