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________________ शब्दार्थ १४१६ 402 अनुवादक-बालब्रह्मचारी हाने श्रा अमोलक ऋषिजी 80 तहां उ० जाकर छ० छत्रादि ति तीर्थंकर का अ० अतिशय पा० देखकर पु० पुरुष स० सहस्त्र वा० वाहीणी सी० शिविका ठ० स्थापकर पु० पुरुष स०सहस्र वा वाहिणी सी० शिविका से प० उतरे ॥७॥ त० तब तं० उन ज जमाली ख० क्षत्रिय कुमार को अ० माता पिता पु० आगे का० करके जे० जहां स० श्रमण भ० भगवन्त म महावीर ते० तहां उ० आकर स० श्रमण भ० भगवन्त म. महावीर को ति० तीन वक्त जा. यावत् ण नमस्कार कर ए. ऐसा व० बोला ए०. ऐसे ख० निश्चय भं० भगवन् ___णयेर जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता छत्ताईए तित्थगराइसए __पासइ २ त्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीयं ठवेइ २ त्ता पुरिस सहस्सवाहिणीओ ___ सीयाओ पच्चोरुहइ ॥ ७० ॥ तएण तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो पुरओ काउं जणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीर कहा वैसे ही जमाली कुमार ब्राह्मण कुंड नगर के बहुशाल चैत्य में गये. और भगवंत के अतिशय छत्रादि देखते ही सहस्र पुरुषवाहिनी शिविका में से नीचे उतरे ॥ ७० ॥ माता पिता जमाली कुमार को आगे करके भगवान महावीर स्वामी की पास गये. और तीन वार आदान प्रदक्षिणा व नमस्कार करके ऐसा बोले कि अहा भगवन् ! यह जमाली क्षत्रिय कुमार हम को एक इष्ट कान्त प्रिय यावत् देखने को दुर्लभ ऐसा पुत्र है. यह चंद्रविकासी उत्पल कमल सूर्य विकासी पन कमल यावत् सहस्र पत्र जैसे पंक में प्रकाशक राजावहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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