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शब्दार्थ
28- पंचमाङ्ग विवाह पण्णात्त ( भगवती ) सूत्र
त० तलवर जा. यावत् स सार्थवाह प० प्रमुख पु० आगे सं० चलनेलगे ख० क्षत्रिय कुंडग्राम ण
महा मा० माहण कुंडग्राम नगर जे. जहां ब. बहशाल चे. चैत्य जे. जहां is इस श्रमण भ. भगवन्त म० महावीर ते. तहां प० संकल्प कीया ग. जाने को ॥१८॥ त० तब ज० जमाली ख० क्षत्रिय कुमार ख० क्षत्रिय कुंडग्राम न० नगर की म० मध्य से णि० जाते सिं• सिंघाडग ति० तीन च० चार जा. यावत् प० रस्त में ३० बहुत अ० अर्थ. का इच्छने वाला ज. जसे उ०१ उववाह में जा. यावत् अ० अभिनंदते अ० वृद्धि होवो एक ऐसा व कहते ज० जय ज. जय न० आनंद
संपट्टिया ॥ खत्तियकुंडग्गामे यरे मझमझेणं जेणेव माहणकुंडग्गामे णयरे जेणेव बहुसालए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ ६८ ॥ तएणं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स खत्तियकुंडग्गामं णयरं मझम झणं णिग्गच्छमाणस्त सिंघाडगतिग चउक्क जाव पहेसु बहवे अत्थच्छिया जहा उववाइए जाव
आभिणंदताय अभित्थुणंताय एवं वयासी जय जयणंदा धम्मेणं जय जयणंदा तवेणं, जय सोआठ भालाधारी, और बहुत पांव से चलनेवाले मनुष्यों आगे चलते हैं. तदनंतर राजेश्वर तलवर यावत् सार्थवाह प्रमुख चलते हैं इस तरह क्षत्रियकुंड ग्राम की मध्य में होकर ब्राह्मण कुंड नगर की बाहिर बहुशाल चैत्य में महावीर सामी की तरफ जाने को नीकले ॥ ६८ ॥ इस तरह जमाली कुमार क्षत्रिय "
28 नववा शतक का तत्तासका उद्दशा Pet
भावार्थ