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शब्दार्थ + १३० श्रेष्ट चा० चामर से उ० वाजाते ह० अश्व ग. गज प. प्रधान जो० योध क० सहित चा० चतुरं
नी से० सेना स० साथ सं० घेराया हुवा म० बडे भ० भट च. चाकर जा. यावत् प. घेरा ज. जमाली ख. क्षत्रिय कुमार की पि० पीछे अ० जाव ॥६५॥त. तब तक उस ज. जमाली स्व० क्षत्रिय कुमार की पु० आगे आ० अश्व अ० अश्वार उ० दोनों बाजु णा० इस्ति ६० हस्तिपे बैठे हुवे पि० पीछे र० रथ र० रथसमुदाय ॥ ६६ ॥ त तब से वह ज० जमाली ख० क्षत्रिय कुमार अ०
हयगयरहपवर जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए साई संपरिवुडे महया भड चडगर जाव परिक्खित्ते जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिटुओ२ अणुगच्छइ ॥६५॥ तएणं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरओ महं आसा आसवरा उभओ
पासिं णागा णागवरा पिट्टओ रहा रहसंगेली ॥ ६६ ॥ तएणं से जमाली भावार्थ कोरंटक वृक्ष के पुष्पों की माला का छत्र धारन किया, दोनों बाजु श्वेत चामर विजाने लगे. हाथी.
घोडे, रथ, पायदल, योधे, सुभट वगैरह की चतुरंगीनी सेना युक्त महा मुभटों, चेटकों के साथ परवरे हुए 22 जमाली क्षत्रिय कुमार की पीछे जाते हैं ॥६५ ॥ जमाली कुमार की आगे बडे घोडे व घोडेस्वार दोनों
बाजु हाथी, व हाथीस्वार. पीछे रथ व रथ समुदाय रहा हुवा है ।। ६६ ॥ जमाली कुमार की आगे कोई
418 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र
नवना शतकका तेत्तीसवा उद्देशा १.१५.१०