________________
शब्दार्थ
0880%
१४०९
त्र
8- पंचमांगवियाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
कौटुम्बिक पुरुष ज० जमाली ख० क्षत्रिय कुमार की सी० शिविका १० उठाइ ॥ ६२॥ त तव त० उन ज० जमाली ख० क्षत्रिय कुमार को वा० शिविका को दु० चढेहवे को प० प्रथम समय में इ० यह अ. आठ में मंगल अ० यथानुपूर्वी संः चलनेलगे तं० वह सो० स्वस्तिक सि० श्रीवत्स जा. यावत् द० दर्पण त० पीछे पु० पूर्ण क• कलश भिं० पात्र ज जैसे उ• उववाइ में जा. यावत् ग• गगनतल अ. लीपती अ० यथानुपूर्वी सं० चलता ए. ऐसे ज० जैसे उ• उववाइ में त• तैसे भा० कहना जा० लिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहति ॥ ६२ ॥ तएणं तस्स जमालिस्स खत्तिय कुमारस्स पुरिस सहस्सवाहिणीयं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठमंगला पुरओ अहाणुपुबीए संपट्ठिया तंजहा सोत्थिय सिरिवत्थ जाव दप्पणं; तदाणं तरंचणं पुण्णकलस भिंगार जहा उववाइए आव गयणतलमणुलिहंती पुरओ
अहाणुपुब्बीए संपट्ठिया एवं जहा उववाइए, तहेव भाणियव्वं जाव आलोयंच इम से तुम जमाली कुमार की शिविका उठावो. एसा वचन सुनकर उनोंने शिविका उठाई ॥ ६२ ॥ पालखी में बैठे हुने जमाली क्षत्रिय कुमार की आगे आठ २ मंगलीक अनुक्रम से चले. उन के नाम. ।। ११ स्वस्तिक २ श्री वस्त ३ नंदावर्त ४ वर्धमान ५ भद्रासन ६ कलश ७ मत्स्य ८ दर्पण. इस की पीछे पूर्ण कलश शृंगार वगैरह जैसे उबवाइ सूत्र में वर्णन किया वैसे यहां जानना. यावत् गगनतलको स्पर्श करती है।
*3303:0नवां शतकका तेत्तीसवा उद्देशा%8880%
भावार्थ