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शब्दा
सूत्र
भावार्थ
लिये गो० गौतम ने० नारकी जा० यात मो० मोक्ष ॥ ६ ॥ एवं यह मं० भगवन् पो० पुद्गल ती० अ तीत काल में अः अनंत सा० शाश्वत स० काल भु० हुवा इ० ऐसे व० कहना ६० हां गो० गौतम ए० यह पो० पुद्गल ती० अतीत काल में अ० अनंत सा० शाश्वत स० काल भु० हुवा इ० ऐसा व० कहना ए० वह मं० भगवन् पो० पुद्गल प० वर्तमान काल में सा० शाश्वत स० काल भ० है इ० ऐसा व कहना गरणं, जहा जहा तं भगव्या दिहूं तहा तहा तंत्रिपरिणमिस्सतीति. सेतेणट्टेणं गोयमा ! नेरइयस्सवा जाब मोक्खा ॥ ६ ॥ एसणं भंते ! पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वंसिया ? हंता गोयमा ! एसणं पोग्गले तीतमर्णतं सासयं समयं भुवीति वतव्वं सिया । एसणं भंते ! पोग्गले पडुप्पण्णसासयं समयं भवतीति वत्तनं सिया ? हंता गोयमा ! तंत्र उच्चारयव्वं । एसणं भंते ! पोग्गले ईनारकी, तिर्यंच, मनुष्य व देवता किये हुये कर्मों से मुक्त नहीं हो सकते हैं ॥ ६ ॥ उपर कर्म की चिन्त
वना की वह कर्म पुल रूप हैं इस लिये परमाणु आदि पुल की चिन्तवना कहते हैं. अथवा परिणाम अधिकार से पुद्गल परिणाम कहते हैं. अहो भगवन् ! अतीत काल में सब पुद्गल अनंत, शाश्वत थे ऐसा कहना ? हां गौतम : परमाणु पुगल अतीत काल में सदा थे. ऐसा कदापि नहीं हुवा कि अतीत काल में शुन्य समय [काल ] हुवा. अहो भगवन् ! वर्तमान काल में सब पुगल क्या शाश्वत है ऐसा '
१० पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 403
4 पहिला शतक का चौथा उद्देशा
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