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________________ शब्दार्थ क्षत्रिय कुमार के पि० पिता से की. कौटुंबिक पुरुष से स. बोलाया ह. दृष्ट तु. तुष्ट हा० स्नान किया क० बलीकर्म कीया जा. यावत् स. शरीर जे. जहां ज० जमाली स्व. क्षत्रिय कुमार का पि. पिता ते तहाँ उ० आकर क० करतल ज. जमाली ख० क्षत्रिय कुमार के पि० पिता को ज. जय वि. विजय से क० बजकर ए० एसा व० बोला सं• बतावो तु• तुम दे देवानुपिय अं० जो म. मेरे क० करने लायक ॥ ४७ ॥ त तब से वह ज० जमाली ख० क्षत्रिय कुमार का पि० पिता तं० उस । तएणं से कासवए जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडुंबिय पुरिसेहिं सद्दाविए समाणे हट्टे तुटे पहाए कयबलिकम्मे जाव सरीरे जेणेव जमालिस्स खत्तिय कुमारस्स पिया तेणव उवागच्छइ २त्ता करयल जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पियरं जएणं विजएणं बद्धावेइरत्ता , ___ एवं वयासी संदिस्सह तुम्मं देवाणुप्पिया! जं मए करणिज्ज॥४७॥ तएणं से जमालिस्स भावार्थ हुवे और भंडार में से तीन लक्ष सोनये लेकर यावत् एक लक्ष सोनये से नापित बोलाया ॥ ४६ ॥ जमाली क्षत्रिय कुमार के पिताने भेजे हुवे कौटुम्बिक पुरुषों से ऐसी बात सुनकर नपित बहुत हृष्ट तुष्ट यावत् आनंदित हुवा. स्नान किया, कोगला किया यावत् वस्त्राभरण से शरीर विभूषित किया. फीर जमाली क्षत्रिय ल कुमार के पिता को पास आकर 'जय हो विजय हो' ऐसे शब्दों बोलकर बोला; कि अहो देवानुप्रिय ! *मने जो करने योग्य कार्य होवे सो वतलावो ॥४७॥ तब जमाली के पिता उस काश्यप [नपित ] को 48 अनुवादक-घालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी * • प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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