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________________ igita ॐ0 /. 7 4./ शब्दार्थ *क करने को तं• इस लिये इ० इच्छताहूं अ० मातापिता तु. तुमारी अ० आज्ञा मिलते स० श्रमण भ... भावन्त म० महावीरकी जा. यावत् प० प्रवा लेनेको ॥ ३९ ॥ त० तब तं० उन ज. जमाली ख. । क्षत्रिय कुमार को अमातापिता जाजा नो० नहीं सं० चलायमान करसके वि०विपयादि अनुकुल शब्द से विविषय प. प्रतिकुलने क. बहत आ० कथन से १० प्रज्ञा से जा. यावत विज्ञानसे ता० तदा अ. इच्छा रहित नि० निष्क्रमण अ० मान कियः॥४०॥ ततब तक उन ज० जमाली ख०क्षत्रियकुमार का पिता याए, तंइच्छामिणं अम्मयाओ! तभेहिं अब्भणण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पन्वइत्तए ? ॥३९॥ तएणं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो जाहे नो संचाएइ विसयाणुलोमाहिय विसय पडिकूलाहिय, बहूहिं आघवणाहिय, पण्णवणाहिय ४ आघवेत्तएवा, जाव विण्णवेत्तएवा ताहे अकामाइं चेव निकमणं अणुमाणत्या ॥ ४० ॥ तएणं तस्स जमालिस्स खत्तिय कुमारस्स पिया कोडंचिय चर हैं परंतु धीर पुरुष को, कार्य में निश्चित पुरुष को व व्यवलित को कुच्छ भी दुष्कर नहीं है इसलिये भावार्थ अहो मातपिता ! मैं आप की आज्ञा से श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी के पास दीक्षा लेने को इच्छ-31 otoता हूं ॥ ३१ ॥ जा जमाली के मातपिता जनाली को विषयानुक्ल व विषय के प्रतिकूल वचनों कहकर समजाने को समर्थ हुवे नहीं तब दीक्षा दीलाना मान्य किया ॥ ४० ॥ तत्र जमाली के पिताने कौटुम्बिक, पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) सूत्र नववा शतक का तेत्तीसचा उद्देशा
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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