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शब्दार्थ
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49 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी ..
वि० विलाप करती ज०. जमाली ख० क्षत्रिय कुमार को एक ऐसा व० बाली तु० तू सि० है जा. पुत्र to मुझे ए. एक पुपुत्र इ० इष्ट क० कांत पि० प्रिय म० मनोज्ञ म० मनाम सं० संभालने योग्य वे विश्वास योग्य सं० सन्मत ५० बहुमत अ० अनुमत मं०आभूषणके क० करंडीया समान ररत्न समान जी०
जीवितको उ० उत्सव हि० हृदयको आ० आनंद का उ०गूलर पुष्प जैसे द० दर्लभ सासुनने को किं०१ किंपुनः पा० देखने से तं० उस को णो० नहीं जा० पुत्र अ० मैं इ० इच्छती हूं तु० तेरा वि० वियोग
कंदमाणी सोयमाणी विलवमाणी जमालिं खत्तियकुमारं एवं क्यासी तुम्मं सि णं जाया अम्मं एगे पुत्ते इटे कंते पिए मणुण्णे मणामे थेजे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे, रयणब्भूए, जीवियउस्सविए हिययणंदजणणे उंबर
पुप्फंपिव दुल्लहे सवणयाए किमंगपुण पासवणयाए, तं णो खलुजाया ! अम्हे. करती हुई, असंत शोक से परिपूर्ण, व आर्तकारी दीन वचनों से जमाली क्षत्रिय कुमारको ऐसा बोली अहोई , पुत्र ! इष्टकारी, कान्तकारी, प्रिय, मनोज्ञ, मणाम, स्थिरता का स्थानक, विश्वास का स्थानक, सम्मत.. बहुमत [ बहुत कार्य में माननीय ] अनुमत ( क्वचित् किसी कार्य में व्यावात करे तो भी पीछे माननेवाला)
आभरण के करण्डिये समान, चिन्तापणी रत्नभूत, जीवितव्य के उत्साह का करनेवाला, हृदय को आनंद करनेवाला, मन को समृद्धि का करनेवाला और गुलर पुष्प की तरह दुर्लभ ऐसा एक ही तेरा पुत्र नाम
* प्रकाशक-राजाबहादूर लाला सुखदेवसहायजी ज्यालाप्रसादजी *
भावार्थ