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________________ शब्दार्थ न० नगरकी म० मध्यसे नि० नीकलकर ने जहां व० बहुशाल चे० चैत्य ते. तहां उ० आकर छ०१ छत्रादि ति तीर्थकर के अतीशय पा० देखकर ध. धार्मिक जा० यान प्रवर को उ० स्थापकर घ० Vधार्मीक जा. यान प्रवर से ५० उतर कर स० श्रमण भ० भगवन्त म० महावीर को पं० पांच प्रकार के 1,.. अ. अभिगम से अ० सन्मुख जावे तं० वह स० मचित्त द० द्रव्य वि० त्यजना ए. ऐसे ज० जैसे वि०१७ दूसरे शतक में जा. यावत् ति तीन योगसे प० पर्यपासनास प. पूजे॥१०॥ त० तब सा. वह दे. देवानंदा मा० ब्राह्मणी ५० धार्मिक जाल. यान प्रवरमे १० उतर कर ब. बहुत खु. कुन्ज संपरिवुडे माहणकुंडग्गामं णयरं मझमझणं णिग्गच्छइ २ ता जेणेन बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ २ ता छत्ताइए तित्थकराइसए पासइ २ ता, धम्मियं जाणप्पवरं उवेइ २ त्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं आभिगमेणं आभिसमागच्छइ, तंजहा सचित्ताणं दव्वाण विउ सरणयाए एवं जहा बिइए सए जाव तिविहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासइ ॥ १० ॥ तएणं सा देवाणंदा माहणी धाम्मयाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ २ त्ता बहूहिं .. भावार्थ ७ वचन व काया से मेवा भक्ति करने लगे ॥ १० ॥ और देवानंदा ब्राह्मणी उस धार्मिक रथ से नीचे उतर कर बहुत कुन्न यावत् महत्वरिका दासियों से परवरी हुई पांच अभिगम से श्री श्रमण भगवंत . पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मुत्र 2008 wwwwwwwwwwww नमा शतकका तेत्तीसवा उद्देशा 93438 w wwwwwwww 4
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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