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________________ शब्दार्थ रतल अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी 82 प्रधान जुयुक्त उतैयार करो ममेरी आ आज्ञा ५० पीछी दो ॥६॥ ततब से वे को कौटुम्बिक पुरुष उ० ऋषभदत्त मा० ब्राह्मण से ए. ऐसा वु. बोलाते हैं. हृष्ट जायावत् हि. आनंदित हुवे क. जा० यावत् ए. ऐसा क. बोले तक तथा आ० आज्ञा वि. विनय से व० वचन जा. यावत् प० सूनकर खि० शीघू ल० लघु कर्ण ज० युक्त जा. जावत् ध धार्मिक जा० यान प० प्रधान जु० युक्त उ० तैयार कर जा. यावत् त. उन की आ० आज्ञा ५० पीछीदेवे ॥ ७ ॥ त० तब से वह उ० ऋषभदत्त मा० ब्राह्मण ण्डा० स्नान कीया जा० यावत् अ० अल्प म. मेहेंगे आ० आभरण ण. अलंकृत किया स० शरीर धम्मियं, जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह ममएय माणत्तियं पच्चपिणह ॥ ६ ॥ तएणं से कोडंवियपुरिसा उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वुत्तासमाणा हट्ट जाव हियया करयल जाव एवं सामी तहत्ताणाए विणएणं वयणं जाव पडिसणेत्ता खिप्पामेव लहुकरण जुत्त जाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवटुवेत्ता जाव तमाणत्तियं पच्चाप्पणंति॥७॥ तएणं से उसभदत्ते माहणे हाए जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ आज्ञा पीछी दो ॥ ६ ॥ ऋषभदत्त ब्राह्मण की ऐसी आज्ञा सुनकर कौटुम्बिक पुरुष हृष्ट तुष्ट यावत् आ-1 नंदित हुवे. और हस्तद्वय जोड़कर तथा इति ऐसा विनय पूर्वक वचन सुनकर शीघ्रही शीघकार्य करनेवाले यावत प्रवर धार्मिक रथ तैयार करके उन की आज्ञा पीछी दे दी ॥ ७॥ फीर ऋषभदत्त ब्राह्मणने, * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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